Sunday 24 April 2022

172- अद्भुत कृति

 

                                 (चित्र गूगल से साभार)

प्रबुद्ध नारी 

समझे है जग को

न कहो 'ना री' !1

***********

खुलीआँखों से

देखतीं हैं सपने 

सच भी करें ।2

***********

रचा संसार

जन्मे हैं तुमने ही

राम, कृष्ण भी ।3

***********

जगदंबे तू

करुणा बरसाती

चण्डी भी तू ही।4

***********

नव कलिका

जीवन की सुगंध 

रंग है नारी ।5

***********

सुघड़ नारी 

खुशियों की कुन्जी है

अमोल रत्न ।6

***********

समेटे चली

छिन्न-भिन्न सपने 

आशा के मोती।7

***********

पंख कटे थे 

छूती आज अम्बर

भरे उड़ान।8

***********

जीवन दात्री 

पोरती है संस्कार 

दूध के संग ।9

***********

जीवन धात्री

प्रथम शिक्षिका है

सँवारे मन ।10

***********

सच्ची संगिनी

खुशियों के रंग से 

भरे जीवन ।11

***********

कहते माया 

दुनिया में उसका 

जादू है छाया ।12

***********

न मानी हार 

घुट-घुटके जीना 

नहीं स्वीकार ।13

***********

अद्भुत कृति 

पूजित, विमर्दित 

दूर्वा जैसी तू ।14

***********

तेरी कथायें 

अनगिन व्यथाएँ 

सदानीरा तू ।15

***********

भगिनी, सुता 

विविध रूप धरे 

धन्य ही करे ।16

***********

कोहरा घना

खोलती है खिड़की

एक किरण ।17

***********

गहन तम 

चन्द्रिका ही आकर 

बाँटे उजाला।18

***********

जीवन यात्रा 

बनती संजीवनी 

चिर संगिनी ।19

***********

स्वयं ईश्वरी 

साकार ममता है 

माँ रूप तेरा !20


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा