(चित्र गूगल से साभार)
वागीश्वरी ! हे हंसासना माँ !
अर्चन तेरा ,हम करें साधना माँ !
तू स्वर की जननी , सुरों से सजा दे
चलें जिसपे वो सत्य का पथ दिखा दे
निराशा के छाने लगें जब अँधेरे
आशा की किरणें हृदय में जगा दे
उजालों की तुझसे करें याचना माँ !
अर्चन तेरा ••••••
दुखी , तप्त जीवन को खुशियों से भर दे
जला ज्ञान का दीप उजियार कर दे
बजे राग-वीणा , हो हर साँस रसमय
स्वर लेखनी को तू इतना मधुर दे
मिलकर करें तेरी आराधना माँ !
अर्चन तेरा हम करें ••••••
जगत के लिए हो जो कल्याणकारी
निष्ठा रहे नित उसी में हमारी
मिटे वैर, माँ द्वेष का लेश हो न
परस्पर कहीं भी कोई क्लेश हो न
सदा स्नेह से हो भरी भावना माँ !
अर्चन तेरा हम करें साधना माँ
वागीश्वरी ! हे हंसासना माँ !
अर्चन तेरा ,हम करें साधना माँ !
डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
वसंत पंचमी