डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
मुस्कान
मुस्कान
धूप
आशाओं की
जगमगा कर खिली
जब वो आकर मिली |
पीर
अनकही
कह गई
जब दिल से उठी
आँख से बह गई |
दीप
जीवन में तृष्णा
हाँ ,तृष्णा पलेगी
स्नेह ही न दोगे
तब दीप बाती
कैसे जलेगी ?
पीर
ReplyDeleteअनकही
कह गई
जब दिल से उठी
आँख से बह गई |