Tuesday, 22 March 2016

ये फागुन के रंग !



होली की हार्दिक शुभ कामनाएँ !
             -डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

प्रगटे मनु तिथि पूर्णिमा ,उत्सव हुआ अपार 
जगती के प्रारम्भ का ,वासंती त्योहार ।।1

कहाँ क्रूर अति पूतना ,कहाँ सुकोमल श्याम 
अद्भुत लीला आपकी ,हर्षित गोकुल धाम ।।2

इत हाथों में लाठियाँ ,उत है लाल गुलाल 
बरसाने की गोपियाँ ,नन्द गाँव के ग्वाल ।।3

दहे होलिका वैर की ,खिले प्रेम प्रह्लाद 
सदय दृष्टि प्रभु की रहे ,बरसे बस आह्लाद ।।4

बड़ा दही-कर छोड़कर ,कांजी संग मुस्काय 
रसगुल्ले का ले गई ,गुँझिया हृदय चुराय ।।5

बस भल्लों की भूख है,ठंडाई की प्यास ।
घुमा फिरा कर मन बसे,गुझिया की ही आस ।।6

शक्करपारे चट हुए ,कम लगते पकवान ।
बना-बना कर हो गई ,माँ कितनी हैरान ।।7

दरवाज़े की ओट में ,टिकुआ खड़ा उदास ।
जाए ख़ाली हाथ क्या , अब बच्चों के पास ।।8

देख सयानी बेटियाँ ,किसका रंग गुलाल  
कैसे पीले हाथ हों ,सोचे दीन दयाल ।।9

नथनी , कंगन बेचकर , ले आया सामान ।
रमुआ के मन में बसी ,बिटिया की मुस्कान ।।10

सिंधारे में भेज दूँ , साड़ी संग गुलाल ।
बिटिया का सुख सोच कर ,मैया हुई निहाल ।।11

सीधे-साधे की हुई , आड़ी-तिरछी चाल । 
होली तेरे रंग ने , कैसा किया कमाल ।।12

भेदभाव सब मिट गए , खोई है पहचान ।
रंग लगाएँ शौक़ से , ज़रा लगाकर ध्यान ।।13 

एक वेश-परिवेश सब ,रंग-उमंगों डूब 
गले मिलन रसिया चले ,हुई धुलाई खूब ।।14

देखभाल कर कीजिए,रंगों का उपयोग ।
सुघढ़ ,सलोनी देह को,लगे न कोई रोग ।।15

धानी-पीली ओढ़नी ओढ़ धरा मुस्काय ।
रंग बिखेर कर ,सूरज भागा जाय ।।16

बौराया मौसम हुआ , पवन करे हुड़दंग ।
पागल मनवा माँगता,सदा तुम्हारा संग ।।17

बहे पवन सद्भाव की , चढ़े प्रेम की भंग  
खुशियों की वर्षा करें ,ये फागुन के रंग ।।18

तन-मन सारे रँग गए ,खूब चढ़ा ली भंग 
कैसे भूलूँ भारती ,मैं केसरिया रंग ।। 19

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(चित्र गूगल से साभार )

Monday, 7 March 2016

महकी कस्तूरी !

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

बिटिया आँगन की कलीउपवन का शृंगार |
महकी कस्तूरी हुई, महकाए संसार  ||

छू लेना आकाश मन ,रख मिट्टी का मान | 
तुम्हें धरा पर स्वर्ग का, करना है संधान ||

कहीं धूप अंगार सी, कहीं मिलेगी छाँव |
काँटे भी है राह में , सखी ! सँभल रख पाँव ........

.बहुत शुभ कामनाएँ !!

(चित्र गूगल से साभार )