होली की हार्दिक शुभ
कामनाएँ !
-डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
प्रगटे मनु तिथि पूर्णिमा ,उत्सव हुआ
अपार ।
जगती के प्रारम्भ का ,वासंती त्योहार ।।1
कहाँ क्रूर अति पूतना ,कहाँ
सुकोमल श्याम ।
अद्भुत लीला आपकी ,हर्षित गोकुल धाम ।।2
इत हाथों में लाठियाँ ,उत है लाल गुलाल ।
बरसाने की गोपियाँ ,नन्द गाँव के ग्वाल ।।3
दहे होलिका वैर की ,खिले प्रेम प्रह्लाद ।
सदय दृष्टि प्रभु की रहे ,बरसे बस
आह्लाद ।।4
बड़ा दही-कर छोड़कर ,कांजी संग मुस्काय ।
रसगुल्ले का ले गई ,गुँझिया हृदय चुराय ।।5
बस भल्लों की भूख है,ठंडाई की प्यास
।
घुमा फिरा कर मन बसे,गुझिया की ही
आस ।।6
शक्करपारे चट हुए ,कम लगते
पकवान ।
बना-बना कर हो गई ,माँ कितनी
हैरान ।।7
दरवाज़े की ओट में ,टिकुआ खड़ा
उदास ।
जाए ख़ाली हाथ क्या , अब बच्चों के पास ।।8
देख सयानी बेटियाँ ,किसका रंग गुलाल ।
कैसे पीले हाथ हों ,सोचे दीन दयाल ।।9
नथनी , कंगन बेचकर , ले आया सामान ।
रमुआ के मन में बसी ,बिटिया की मुस्कान ।।10
सिंधारे में भेज दूँ , साड़ी संग गुलाल ।
बिटिया का सुख सोच कर ,मैया हुई निहाल ।।11
सीधे-साधे की हुई , आड़ी-तिरछी चाल ।
होली तेरे रंग ने , कैसा किया कमाल ।।12
भेदभाव सब मिट गए , खोई है पहचान ।
रंग लगाएँ शौक़ से , ज़रा लगाकर ध्यान ।।13
एक वेश-परिवेश सब ,रंग-उमंगों डूब ।
गले मिलन रसिया चले ,हुई धुलाई खूब ।।14
देखभाल कर कीजिए,रंगों का
उपयोग ।
सुघढ़ ,सलोनी देह को,लगे न कोई रोग ।।15
धानी-पीली ओढ़नी ओढ़ धरा
मुस्काय ।
रंग बिखेर कर ,सूरज भागा जाय ।।16
बौराया मौसम हुआ , पवन करे हुड़दंग ।
पागल मनवा माँगता,सदा
तुम्हारा संग ।।17
बहे पवन सद्भाव की , चढ़े
प्रेम की भंग ।
खुशियों की वर्षा करें ,ये
फागुन के रंग ।।18
तन-मन सारे रँग गए ,खूब चढ़ा
ली भंग ।
कैसे भूलूँ भारती ,मैं
केसरिया रंग ।। 19
~~~~~~~~*****~~~~~~~~
(चित्र गूगल से साभार )