डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
दुआ रोज़ करती है कविता हमारी ,
किसी से न डरती है कविता हमारी |1
बिखेरे यहाँ खूब खुशबू के किस्से ,
फूलों सी झरती है कविता हमारी |2
तेरी सादगी और सच्चाई हमदम ,
इन्हीं पे तो मरती है कविता हमारी |3
किसी आँख हो आँसुओं की कहानी ,
तो आहें भी भरती है कविता हमारी |4
कि, जिनके भरोसे चली थी सफ़र पर ,
उन्हीं को अखरती है कविता हमारी |5
अभावों पली पर चली नेक रस्ते ,
सरस भाव धरती है कविता हमारी |6
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