Tuesday, 28 January 2014

सवेरा !!

                                   चित्र गूगल से साभार 
डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा 


फैली है हरसूँ ........ये कैसी चादर ,
देखें चलो हम.....भी परदा हटाकर |

इतना गणित हमको समझा दो रख दें ,
खुशी जोड़कर और गमों को घटाकर |

ले चल मुझे उसकी जानिब,कि जिस तक ,
झाँका न अब तक....सवेरा भी जाकर |

बरसीं जो बूँदें .......तब दिल ने जाना ,
रोया बहुत........वो भी मुझको रुलाकर |

खुद पर ही....जिनको भरोसा नहीं वो ,
क्यों देखते हैं............मुझे आज़माकर |

इस दिल की बस्ती में रौशन सा कुछ है ,
ज़रा देख लेना.........निगाहें झुकाकर |

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Sunday, 26 January 2014

शुभ गणतंत्र दिवस !!

                                    चित्र गूगल से साभार


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

दें ऐसा मंत्र मुझे 
महका , मर्यादित सा 
रचना गणतंत्र मुझे !

लिख गीत जवानों के 
जिनके दम से हैं 
मौसम मुस्कानों के !

मैं रोज़ दुआएँ दूँ 
'खूब बहार खिले'-
दिन-रैन सदाएँ दूँ !

तेरा ना मेरा हो 
अपने भारत में 
खुशियों का डेरा हो !

हार्दिक शुभकामनाएँ !!

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Wednesday, 15 January 2014

तुम दर्द नहीं हो ...

                                 चित्र गूगल से साभार 

डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा 


मधुर-मधुर ये गाया करती ,
सुन्दर छंद सुनाया करती ।

तुम कान्हा हो तो मधुबन में ,
रसमय रास रचाया करती ।

शिवमय होकर पतित-पावनी ,
गंगा -सी बह जाया करती ।

राम ,रमा-पति कण्ठ लगाते ,
मुग्धा बहुत लजाया करती ।

चाहत थी जो तुम छू लेते ,
कलियों- सी महकाया करती ।

तुम बिन गीत-ग़ज़ल में कैसे ,
इतना रस बरसाया करती ।

अच्छा है ! तुम दर्द नहीं हो ,
वरना कलम रुलाया करती ।

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