Friday, 28 May 2021

161-ताऊ जी












आज पढ़िएगा ....चारों ओर फैली बेचैनियों के बीच एक हल्की- फुल्की रचना - 


दिन भर कितना लाड़ लड़ाते ताऊ जी 

नई कहानी रोज़ सुनाते ताऊ जी ।


भूलें चाहे पापा जी टॉफ़ी लाना 

दूध जलेबी खूब खिलाते ताऊ जी ।


चाचा कहते पढ़ ले, पढ़ ले , ओ मोटी ! 

उनको अच्छे से धमकाते ताऊ जी ।


कठिन पढ़ाई जब भी मुझको दुखी करे 

बड़े प्यार से सब समझाते ताऊ जी ।


छीन खिलौने जब भी भागे है भैया

कान खींचकर उसको लाते ताऊ जी ।


माँ-पापा संग शहर में आई हूँ लेकिन

याद बहुत ही मुझको आते ताऊ जी।

('जय विजय' के मई, 21 अंक में)

Jyotsna Sharma

Monday, 24 May 2021

160-आँखों में सपनों की महफिल

 




छोड़ो भी अब तो नादानी
मत छेड़ो वह तान पुरानी।

उड़े न चिड़िया अमन-चैन की
डालो इसको दाना पानी।

प्रेम- मुहब्बत के रंगों से 

दुनिया की तस्वीर सजानी ।

ठान अगर तुम लोगे मन में
मुश्किल भी होगी आसानी ।

चोट बहुत पहुँचाया करती
ये अपनों की नाफ़रमानी ।

मिल जाएँगे जब दिल से दिल
बात बनेगी तब लासानी ।

आँखों में सपनों की महफिल
दिल में यादें ,दिलबर जानी !

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

(चित्र गूगल से साभार)