आज पढ़िएगा ....चारों ओर फैली बेचैनियों के बीच एक हल्की- फुल्की रचना -
दिन भर कितना लाड़ लड़ाते ताऊ जी
नई कहानी रोज़ सुनाते ताऊ जी ।
भूलें चाहे पापा जी टॉफ़ी लाना
दूध जलेबी खूब खिलाते ताऊ जी ।
चाचा कहते पढ़ ले, पढ़ ले , ओ मोटी !
उनको अच्छे से धमकाते ताऊ जी ।
कठिन पढ़ाई जब भी मुझको दुखी करे
बड़े प्यार से सब समझाते ताऊ जी ।
छीन खिलौने जब भी भागे है भैया
कान खींचकर उसको लाते ताऊ जी ।
माँ-पापा संग शहर में आई हूँ लेकिन
याद बहुत ही मुझको आते ताऊ जी।
('जय विजय' के मई, 21 अंक में)
Jyotsna Sharma