डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
उमड़े, फिर बरस गए
ये नैना कान्हा
दर्शन को तरस गए ।
2
दर्पण से धूल हटा
झलक उठे मन में
मोहन की मधुर छटा ।
3
दिल खूब चुराता है
लाल यशोदा का
फिर भी क्यों भाता है ।
4
दाऊ के भैया ने
सबको त्राण दिया
उस नाग-नथैया ने ।
5
जादूगर कैसे हो
जो जिस भाव भजे
उसको तुम वैसे हो ।
6
इक राह दिखाई है
मीत सुदामा के
क्या रीत निभाई है।
7
मन उजला तन काला
मोह गया मोहन
मन, बाँसुरिया वाला ।
8
मुख अमरित का प्याला
कितनी छेड़ करे
यह नटखट, गोपाला !
9
भोली -सी सूरत पे
रीझ गई रसिया
मैं प्यारी मूरत पे ।
10
भक्तों को मान दिया ।
मोह पड़े अर्जुन
गीता का ज्ञान दिया ।
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(चित्र गूगल से साभार )