डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
पवन भी गाये आज वन्दना तुम्हारी झूम ,
सरस दिशा-दिशा सनेह से दुलारती |
हरा-भरा लंहगा सुनहरी लाई ओढ़नी ,
कलियों को गूँथ-गूँथ अलकें संवारती |
मन में भरी उमंग साजते हैं सप्तरंग ,
रुचिर घटा भी देख सुरधनु वारती |
केसरिया ,सित ,हरा ,भोग,योग ,त्याग भरा ,
मन में बसे हैं मेरे तीन रंग भारती ||
नमन है बार-बार शारदे माँ देना तार ,
सुन लेना इतनी सी विनय हमारी है |
भरके उमंग कहे कलम हमारी आज ,
कसम निभाने की हमारी भी तो बारी है |
भारत से ,भारती माँ ! जाने की ज़रा न चाह ,
जब तक मुदित न , जननी निहारी है |
आज बंधनों से आप ,खोल दीजिए न हाथ ,
एक-एक वीर मेरा सैकड़ों पे भारी है ||
हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा
चित्र गूगल से साभार