दिल से दिल का जुड़े गुलाबी तार होली में
हो खुशियों के रंगों की बौछार होली में ।
सतरंगी सपने जो देखे तरसे नयनों ने
सच हो जाएँ सब के सब इस बार होली में !
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आया है रंगीला मौसम ,
कैसा छैल-छबीला मौसम ।
सब्ज धरा के अंग -अंग पर ,
लाल, गुलाबी , पीला मौसम ।
बागों में बौराया डोले ,
सुन्दर , खूब सजीला मौसम ।
आकर बैठ गया धरने पर ,
देखो आज हठीला मौसम ।
आँखों में अक्सर रहता है ,
सूखा कभी पनीला मौसम ।
लो देखो फिर से आया है ,
वादों का नखरीला मौसम ।
वो देखें तो मुझपर छाए ,
जाने क्यों शर्मीला मौसम ।
('उदंती' में प्रकाशित )
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा