डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
भारत में हे भारती ,सुख बरसे सब ओर ।
कटे अमंगल की निशा ,सजे सुहानी भोर ।।
कैसी आहट -सी हुई, आए क्या ऋतुराज ?
मौसम तेरा आजकल , बदला लगे मिजाज।।
अमराई बौरा गई , बहकी बहे बयार ।
सरसों फूली- सी फिरे ,ज्यों नखरीली नार ।।
तितली अभिनन्दन करे,मधुप गा रहे गान।
सजी क्यारियाँ धारकर ,फूल कढ़े परिधान ।।
मोहक रंग अनंग के,धरा खेलती फाग ।
खिलते फूल पलाश के,ज्यों वन दहके आग ।।
कटे अमंगल की निशा ,सजे सुहानी भोर ।।
कैसी आहट -सी हुई, आए क्या ऋतुराज ?
मौसम तेरा आजकल , बदला लगे मिजाज।।
अमराई बौरा गई , बहकी बहे बयार ।
सरसों फूली- सी फिरे ,ज्यों नखरीली नार ।।
तितली अभिनन्दन करे,मधुप गा रहे गान।
सजी क्यारियाँ धारकर ,फूल कढ़े परिधान ।।
मोहक रंग अनंग के,धरा खेलती फाग ।
खिलते फूल पलाश के,ज्यों वन दहके आग ।।
(चित्र गूगल से साभार )