जो दिल ने कहा ........
विनम्र श्रद्धांजलि सहित !
दुखद है .....
जीवन की एक फ़रियाद
गई
वो लेकर कैसी याद गई ...हम शर्मिन्दा हैं दामिनी
!
दिवंगत आत्मा को
शान्ति मिले ,
समस्त हिन्दुस्तान
परिवार इस दुःख को सहन करने की सामर्थ्य पाए और हर दिल में उसकी यादों की शमा जलती
रहे ...ऐसी प्रार्थनाओं के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा 29-12-12
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बहुत ही कठिन है वो
यादें भुलाना ,
हो दर्द दिल में
मगर मुस्कुराना |
नहीं तेरा मेरा,ये आधे जहाँ का ,
कहा दर्द डूबी कलम
ने फ़साना|
भर जायेंगें सब
जख्म धीरे धीरे ,
निशाँ देखकर होगा
मुश्किल भुलाना |
दिए हसरतों के ,ये तूफ़ान फिर भी ,
बुझा न सके ,चाहे कितना बुझाना |
मिलें मुश्किलें ,तार तेरा जिगर हो ,
मगर फ़र्ज़ से पग न
पीछे हटाना ||
ज्योत्स्ना शर्मा 28-12-12
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जीवन की एक फ़रियाद गई
दिवंगत आत्मा को शान्ति मिले ,
नहीं तेरा मेरा,ये आधे जहाँ का ,
भर जायेंगें सब जख्म धीरे धीरे ,
दिए हसरतों के ,ये तूफ़ान फिर भी ,
मिलें मुश्किलें ,तार तेरा जिगर हो ,
पोर पोर पीड़ा बसी ,अभी रहे जो मौन |
दुष्ट दुशासन को भला ,दंड दिलाये कौन ?????
अर्ज़ है ये
कोई फरमान नहीं है ...संवाद हीनता समस्या का समाधान नहीं है |
.....ज्योत्स्ना शर्मा 24-12-12
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घोर घटाएँ
हों भले ,दमक दामिनी आज ,
बनो उजाले की किरण ,जागे सकल समाज |
जागे सकल समाज , भरोसा देना होगा ,
तेरी ,हमें हिसाब , 'आह' का लेना होगा |
दोहरायें न और , निर्दयी व्यथा कथाएं ,
दमक दामिनी आज , भले घनघोर घटाएँ ||
.....दामिनी के साहस ,संकल्पशक्ति और
जिजीविषा को ह्रदय से नमन ...ढेरों दुआओं के साथ ज्योत्स्ना शर्मा 23-12-12
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हमारी ,समाज की
पीड़ा की कोई सीमा न थी
एक दुखद ,कड़वा सत्य
अनावृत था ...और ...
'तमाशबीनों' के पास
चादर न थी ......
पीड़ा की कोई सीमा न थी
एक दुखद ,कड़वा सत्य
अनावृत था ...और ...
'तमाशबीनों' के पास
चादर न थी ......
.इतने निर्मम
कैसे हो गए हम ???
.............ज्योत्स्ना ............
२१-१२-१२ .
सुना था .....
सितारों से आगे भी उसका जहाँ है ,........
वही आज क्यूँ दर्द की इन्तेहाँ है |
वो कल भी'खबर'थी,वो अब भी 'खबर' है ;
संवेदना...सो गई अब ... किधर हैं ......
और ये भी ..
"सम्पूर्ण सुरक्षा "
वादा है हमारा |
नहीं टलेगा
किसी बहाने से |
बस ज़रा हमें
फुरसत तो मिले
'हुड़दंग' मचाने से ..!!!
पूरी आशा के साथ
सितारों से आगे भी उसका जहाँ है ,........
वही आज क्यूँ दर्द की इन्तेहाँ है |
वो कल भी'खबर'थी,वो अब भी 'खबर' है ;
संवेदना...सो गई अब ... किधर हैं ......
और ये भी ..
"सम्पूर्ण सुरक्षा "
वादा है हमारा |
नहीं टलेगा
किसी बहाने से |
बस ज़रा हमें
फुरसत तो मिले
'हुड़दंग' मचाने से ..!!!
पूरी आशा के साथ
...ज्योत्स्ना शर्मा
१९-१२-१२