Wednesday, 13 November 2013

बाल दिवस : एक आयोजन !!

डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा 


:)
चारों ओर चुनावी चर्चे ,
माँ ! हम अपना फ़र्ज़ निभाएं |
कौन पार्टी 'आमों ' वाली ;
थोड़े आम चलो ले आएँ .....शुभ बाल दिवस !!!


और एक आयोजन यह भी ...
१ 
उन्होंने ...
बाल दिवस ...
कुछ इस तरह मनाया 
आला ब्युटीशियन से 
तिनका तिनका बालों का 
ख़ूबसूरत ...
हेयर स्टाइल बनवाया !
२ 
उन्होंने ...
बाल दिवस पर 
बाँट कर 
शब्दों की मिठाई 
नन्हें रामू की 
खूब फटकार लगाई..
क्यों रे ....तुझे अब तक 
कार धुलनी न आई !
३ 
उसने कहा ' माँ '
आज बाल दिवस.....
 इस तरह मनाना 
आप आज मुझे 
अकेले मत सुलाना !

~~~~@@@~~~~
सभी चित्र गूगल से साभार 
ज्योत्स्ना शर्मा 

बाल साहित्य विशेषांक से

डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा 
यादे बचपन की…जब आती हैं ...कविता बन जाती हैं, कुछ इस तरह 

मेरी रचनाएँ ..'अभिनव इमरोज़ ' के बाल साहित्य विशेषांक से ...

प्यारा भैया 
भैया बहुत सताये मुझको 
चोटी खींच रुलाये मुझको 
गुड़िया मेरी छीने भागे 
पीछे खूब भगाये मुझको 

मेरी पुस्तक रंग उसके हैं 
खेलें कैसे ढंग उसके हैं 
क्या खाना है क्या पहनाऊँ
नये नये हुड़दंग उसके हैं 

फिर भी तुमको क्या बतलाऊँ
प्यार उसी पर आये मुझको 
मेरा प्यारा न्यारा भैया 
कभी दूर ना भाये मुझको


2-

प्यारी गौरैया 



ओ मेरी प्यारी गौरैया 
रोज़ मेरी खिड़की पर करती 
फुदक फुदक कर ताता थैया 

कितनी सुबह सुबह जग जाती 
तुम मीठे सुर साज़ सजाती
बजे अलार्म भले न मेरा 
मुझे समय से आन जगाती
तुम ना हो तो फिर पक्का है 
कान खिंचें और मारे मैया 

छुट्टी के दिन सोने देना 
सुख सपनों में खोने देना 
देखो बात न बढ़ने पाये 
बहुत देर मत होने देना 
दाना पानी दूँगी तुमको 
मान करूँगी सोन चिरैया !

 ~~**~~

Saturday, 2 November 2013

*****शुभ दीपावली *****

                                  चित्र गूगल से साभार 
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

तिमिर घना हो भले,तारों की ज़रा न चले ,
सूझे नहीं पथ तो......दिए सा जल जाएँगें  |
भाव कटु दूर करें.........जीवन में रस भरें ,
बोंएँ बीज प्रीत के..........मधुर फल पाएँगें |
लालसा है लेने की जो,देना भी तो सीख लेना ,
ध्यान धरें चरण...........विघन टल जाएँगें |
हृदय की है चाह यही......अब उत्साह यही ,
ज्योति कब प्रेम की.......जगत में जलाएँगें ||

देखिए तो हर ओर........बहुत हुआ है शोर ,
कारा भला तम की.....ये कैसे कट पाएगी |
शुचिता होवे मन की.....पावनता लगन की ,
स्नेह से भरो न दीप........पीर घट जाएगी |
खिली खिली फुलझड़ी.....लेकर जादुई छड़ी,
ये न सोच कोई परी..........तेरे घर आएगी |
खीलों व खिलौनों की मिठास आसपास बाँट,
सदय हो समृद्धि.........सब संग मुस्काएगी ||

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