Tuesday, 27 August 2013

शुभ जन्माष्टमी


डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा 

भूले से भगवान ने ,मन में किया विचार ,
रहकर सबके साथ में ,  देखें यह संसार |
देखें यह संसार  ,    भला कैसी है माया ,
दीं   क्या हमने भेंट ,भक्त ने क्या क्या पाया |
चले उठाने  मुकुट ,  मुरलिया जब झूले से ,
कुछ न आ सका हाथ , रह गए बस भूले से ||


ऐसे ..चकित नंदलाल ....मेरे मदन गोपाल ...करें सबका ख्याल !!

राधा की पायल बनूँ ,या बाँसुरिया श्याम ,
दोनों के मन में रहूँ ,इच्छा यह अभिराम |
इच्छा यह अभिराम ,  संग राखें बनवारी ,
दो बाँसुरिया देख  ,  दुखी हों राधा प्यारी |
हो उनको संताप , मिलेगा सुख बस आधा ,
कान्हा के मन वास , चरण में रख लें राधा ||

राधे प्यारी !!......... सुनो अर्ज़ हमारी ..............हरो विपदा सारी !!

बहुत शुभ कामनाओं के साथ 
ज्योत्स्ना शर्मा 

Sunday, 25 August 2013

हक़ खुशियों पे सबका ......


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

एक 

हो चैन से तय मेरा सफ़र सीख रही हूँ ,
रखने हैं कदम खुद की डगर सीख रही हूँ |

हों पाँव तो ज़मीन पर बाँहों में सितारे ,
रखनी है चाँद पे भी नज़र सीख रही हूँ |

अदना सा इक सवाल है वजूद क्या मेरा ,
रचना है मुझे प्यार का घर सीख रही हूँ |

कल की अमानतें हैं मेरे पास ,रह सकूँ ,
फूलों-फला ,शादाब शज़र सीख रही हूँ |

मैं बारहा उदास थी ,उसने कहा कि खिल ,
खिलकर कहीं न जाऊँ बिखर सीख रही हूँ |

कैद थी कब से कि अब आज़ाद सी तो हूँ ,
पर बाज़ से बचने का हुनर सीख रही हूँ ||

दो 

नाम लहरों पे ऐसे......हमारा लिखा ,
ना तो कश्ती लिखी ना किनारा लिखा |

मुई मँहगाई ने....मन को मारा बहुत ,
फिर न करना है कैसे....गुज़ारा लिखा |

मुस्कुराते हुए ........हमसे पूछा किए ,
हाल कैसा खुदा ने.....तुम्हारा लिखा |


चाहतें ,दिल की मिल-जुल बसें बस्तियाँ ,
फिर ये नफ़रत का किसने शरारा लिखा |

हक़ खुशियों पे सबका.......बराबर तो है ,
किसलिए फिर ये....मेरा तुम्हारा लिखा |

छोड़ दें तेरी दुनिया ........जो हमने कहा ,
मर्सिया झट से उसने ......हमारा लिखा ||

ज्योत्स्ना शर्मा 
-----००-----


Monday, 19 August 2013

राखी मंगल कामना ....


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

अक्षत आशाएँ रहें  ,  रोली हो विश्वास ,
भले नयन से दूर हो ,मन से हर पल पास |
मन से हर पल पास ,ध्यान बस रहे तुम्हारा ,
सुख ,समृद्धि अपार ,प्यार भी तुम पर वारा |
भूल न पाए भ्रात  ,  रहे कर्त्तव्यों में रत |
मन के मंगल भाव ,रहें सब आशा अक्षत ||१

राखी मंगल कामना ,शुभ आशिष ,उपहार ,
भाई के मन बाँधती ,  इक धागे से प्यार |
इक धागे से प्यार ,सजाती सुन्दर मोती ,
माँग प्रभु से सार ,सुखों की लड़ी पिरोती |
मात-पिता -तुम संग ,मुदित है मन का पाखी ,
सँवरा घर-संसार , लाज भैया ने राखी ||२

रक्षा बंधन के पावन पर्व पर हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ ..

                      ज्योत्स्ना शर्मा 
           ~~~~~~~~****~~~~~~~~

Wednesday, 14 August 2013

भारती माँ जय बोलें ...



डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
1
बहुरंगी दुनिया भले ,रंग भा गए तीन ,
बस केसरिया ,सित ,हरित ,रहें वन्दना लीन।
रहें वन्दना लीन , सीख लें उनसे सारी ,
ओज ,शूरता ,त्याग ,शान्ति हो सबसे प्यारी ।
धरा करे शृंगार  ,वीर ही रस हो अंगी ,
नस नस में संचार ,भले दुनिया बहुरंगी ।।
2
बोलें जिनके कर्म ही , ओज भरी आवाज़ ,
ऐसे दीपित से रतन ,जनना जननी आज ।
जनना जननी आज ,सुता झाँसी की रानी ,
वीर शिवा सम पुत्र ,भगत से कुछ बलिदानी ।
कुछ बिस्मिल आज़ाद , नाम अमृत रस घोलें ,
गाँधी और सुभाष ,भारती माँ  जय बोलें ।।
3
एक लड़ाई कल लड़ी ,एक लड़ाई आज ,
विजयी गाथाएँ लिखें ,जिएँ मातृभू काज ।
जिएँ मातृभू काज ,मिटाएँ सब अँधियारा ,
खोलें नयन कपाट ,दिखाएँ कर उजियारा ।
भारत बने महान ,सकल जग करे बड़ाई ,
ठान तमस से रार ,लड़ेंगें एक लड़ाई  ।।

हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ .....


ज्योत्स्ना शर्मा 

Saturday, 3 August 2013

शुभ मित्रता दिवस


सबसे सुनी है यहाँ कबसे सुनी है यहाँ ,
रीत मन भावन ये पावन पुरानी है ।
रस मकरंद भरे मन में आनंद भरे ,
बाँधती है डोर पर लगती सुहानी है ।
यूँ तो हर दिन कहूँ भर के उमंग कहूँ ,
वारने को आप पे ये कम जिंदगानी है ।
सुख हो या दुःख हो न छोड़े कभी साथ सखा  ,
आज यही बात हमें आपसे बतानी है ।।

ज्योत्स्ना शर्मा
4-08-2013

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