Sunday, 2 April 2023

181- है सुन्दर उपहार ज़िंदगी !


 

है  सुन्दर  उपहार ज़िंदगी

सुख-दुख का भण्डार ज़िंदगी ।


तेरा- मेरा प्यार ज़िंदगी 

मीठी- सी तकरार ज़िंदगी ।


खो बैठे धन अमर-प्रेम का 

तब तो केवल हार ज़िंदगी ।


देती जो मुसकान , धरा का-

करती है शृंगार ज़िंदगी ।


काँटे-कलियाँ बीन-बीनकर

रचे सुगुम्फित हार ज़िंदगी।


इधर कुआँ है उधर है खाई

दोधारी तलवार ज़िंदगी ।


खूब मनाए मन का उत्सव 

बन जाए त्योहार ज़िंदगी ।


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

(चित्र गूगल से साभार)