Sunday, 2 April 2023

181- है सुन्दर उपहार ज़िंदगी !


 

है  सुन्दर  उपहार ज़िंदगी

सुख-दुख का भण्डार ज़िंदगी ।


तेरा- मेरा प्यार ज़िंदगी 

मीठी- सी तकरार ज़िंदगी ।


खो बैठे धन अमर-प्रेम का 

तब तो केवल हार ज़िंदगी ।


देती जो मुसकान , धरा का-

करती है शृंगार ज़िंदगी ।


काँटे-कलियाँ बीन-बीनकर

रचे सुगुम्फित हार ज़िंदगी।


इधर कुआँ है उधर है खाई

दोधारी तलवार ज़िंदगी ।


खूब मनाए मन का उत्सव 

बन जाए त्योहार ज़िंदगी ।


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

(चित्र गूगल से साभार)




24 comments:

  1. तेरा मेरा प्यार ज़िंदगी
    मीठी-सी तकरार ज़िंदगी !

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  2. खो बैठे धन अमर-प्रेम का
    तब तो केवल हार ज़िंदगी !

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  3. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 04 एप्रिल 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. खूब मनाए मन का उत्सव
    बन जाए त्योहार ज़िंदगी ।
    सुंदर रचना ।

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  5. छोटे-छोटे मिसरों वाले शेरों से गुंथी ख़ूबसूरत ग़ज़ल रची है आपने।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय 🙏

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  6. वाह! बहुत सुंदर

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  7. मुग्ध करती अनुपम कृति

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  8. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (9-4-23} को "हमारा वैदिक गणित"(चर्चा अंक 4654) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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    1. बहुत आभार कामिनी जी , क्षमा चाहती हूँ देर से देख सकी क्योंकि न जाने क्यों आपका कमेंट प्रकाशित नहीं हुआ था , अभी देखा 🙏

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  9. बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ।

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  10. खो बैठे धन अमर-प्रेम का

    तब तो केवल हार ज़िंदगी ।
    वाह!!!
    लाजवाब गीतिका।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏💐

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  11. बड़ी ही उम्दा अभिव्यक्ति

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  12. बहुत बहुत आभार आपका 🙏

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  13. वाह! बहुत खूब।

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  14. दिल से शुक्रिया आपका 🙏

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