Sunday, 24 April 2022

172- अद्भुत कृति

 

                                 (चित्र गूगल से साभार)

प्रबुद्ध नारी 

समझे है जग को

न कहो 'ना री' !1

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खुलीआँखों से

देखतीं हैं सपने 

सच भी करें ।2

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रचा संसार

जन्मे हैं तुमने ही

राम, कृष्ण भी ।3

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जगदंबे तू

करुणा बरसाती

चण्डी भी तू ही।4

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नव कलिका

जीवन की सुगंध 

रंग है नारी ।5

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सुघड़ नारी 

खुशियों की कुन्जी है

अमोल रत्न ।6

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समेटे चली

छिन्न-भिन्न सपने 

आशा के मोती।7

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पंख कटे थे 

छूती आज अम्बर

भरे उड़ान।8

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जीवन दात्री 

पोरती है संस्कार 

दूध के संग ।9

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जीवन धात्री

प्रथम शिक्षिका है

सँवारे मन ।10

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सच्ची संगिनी

खुशियों के रंग से 

भरे जीवन ।11

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कहते माया 

दुनिया में उसका 

जादू है छाया ।12

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न मानी हार 

घुट-घुटके जीना 

नहीं स्वीकार ।13

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अद्भुत कृति 

पूजित, विमर्दित 

दूर्वा जैसी तू ।14

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तेरी कथायें 

अनगिन व्यथाएँ 

सदानीरा तू ।15

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भगिनी, सुता 

विविध रूप धरे 

धन्य ही करे ।16

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कोहरा घना

खोलती है खिड़की

एक किरण ।17

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गहन तम 

चन्द्रिका ही आकर 

बाँटे उजाला।18

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जीवन यात्रा 

बनती संजीवनी 

चिर संगिनी ।19

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स्वयं ईश्वरी 

साकार ममता है 

माँ रूप तेरा !20


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा