डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
नवागत स्वागत करूँ तुम्हारा अभिनन्दन ! अक्षत आशा ,विश्वासों का ले कुमकुम चन्दन रहें सुवासित पवन जल निर्मल , हो निष्कंप धरा कभी न उमड़े सागर मन में पीर भरा याचित यही मुरझाये मन और नयन को दे मोती सी आभ रहें न वंचित नन्हे कर को देना कलम-किताब कर स्वीकार ,समय-नंदन !!! सब प्रकार से स्वस्थ ,सुन्दर ,मंगलमय नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ ........ ज्योत्स्ना शर्मा |