Friday, 26 August 2022

179-सुनो ज़िंदगी !


 क्यूँ सोचते हो

जो तुम दर्द दोगे
तो बिखर जाऊँगी
ये जान लो
धुल के आँसुओं से
मैं निखर जाऊँगी ।

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सुनो ज़िन्दगी !
तुम एक कविता
मैं बस गाती चली
रस -घट भी
प्रेम या पीडा़ -भरा
पाया , लुटाती चली ।

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ओ रे सावन !
प्यारा मीत सबका
कली का ,चमन का
श्यामल मेघ
संग में लाया कर
यूँ न भुलाया कर ।

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डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 
(चित्र गूगल से साभार)

Sunday, 14 August 2022

178-देश रहे खुशहाल !



सभी देशवासियों को स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव पर ढेर सारी शुभकामनाएँ  !


खिलती फुलवारी कहे , सबके दिल का हाल ।
बारिश हो सद्भाव की , देश रहे खुशहाल ।।

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बातें हों मुहब्बत की , बस प्यार की गंगा हो
हर कर में तिरंगा हो , हर घर पे तिरंगा हो ।।

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जिसके ऐसे बलिदानी सुत उसकी मात नहीं होगी

बिखरी यश की अमर रश्मियाँ तय है रात नहीं होगी 

धरती से अम्बर तक गूँजे गाथाएँ बलिदानों की

बात तुम्हारी ही होगी बस तुमसे बात नहीं होगी !

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तुमको पथ से डिगा सके वो तीर यहाँ निष्काम हुआ 

छल से वार करे छुप-छुप कर वह वैरी बदनाम हुआ 

कोटि-कोटि नतमस्तक ,गूँजे 'अमर रहो' के जयकारे 

जिसमें तुमने जन्म लिया है वह घर तीरथधाम हुआ ।

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गर्व बहुत है तुम पर हमको दिल में पसरा गम भी है

अन्तिम दर्शन को व्याकुल हर नयन यहाँ पर नम भी है 

तुम-सा हो जाने की चाहत जाग रही है हर दिल में 

और तुम्हारी शौर्य कथा का फहराता परचम भी है 

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सिया राम जी की कहानी पे लिखना

कान्हा,कभी राधा रानी पे लिखना 

वतन की हिफाज़त में जो मर मिटी है 

कलम ! गीत ऐसी जवानी पे लिखना ।

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ज्योत्स्ना शर्मा





Friday, 5 August 2022

176- दो लोरियांँ


 लोरी - 1
मेरे राजदुलारे सो जाओ कल सूरज के संग उठ जाना
मेरी राजदुलारी सो जाओ कल किरणों के संग मुस्काना


तुम बनकर गीत सरस , सुन्दर
बस वचन मधुर कहते रहना
सबके मन में बन प्रीत अमर
रसधारा से बहते रहना
कलियाँ खिल जाएँ उमंगों  की
खुशियाँ ही खुशियाँ बरसाना । मेरे ....

तुम कृष्ण मेरे तुम राम मेरे
तुम राधा , मीरा , सीता हो
तुम भगत सिंह ,आज़ाद मेरे
तुम लछमी और सुनीता हो
राकेश, कल्पना के जैसे
अम्बर पर झन्डा फहराना । मेरे .....

लोरी -2 

आओ री निन्दिया रानी अंखियन में आओ
बिटिया को मेरी आकर सुलाओ
बिटवा को मेरे आकर सुलाओ

आओ तो संग ध्रुव, प्रह्लाद को लाओ
आओ तो गार्गी , अपाला को लाओ
ज्ञान का भक्ति का दीपक जलाओ ....

आओ कबीर सूर तुलसी को लाओ
आओ रसखान और मीरा को लाओ
सुन्दर कविता से मन को सजाओ....

आओ तो राणा प्रताप को लाओ
आओ तो पृथ्वी , छत्रसाल को लाओ
दुश्मन की छाती पे चढ़ना सिखाओ

आओ तो रानी लछमी को लाओ
आओ तो भगत सिंह ,आज़ाद को लाओ
माटी की खातिर मिटना सिखाओ

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 
(चित्र गूगल से साभार)