."श्री गंगा दशमी "पर ...सभी भूलों के लिए क्षमा याचना ...और ....दया दृष्टि की कामना के साथ ...जय माँ गंगे !!
पतित पावनी तुम
मैं सादा सा पानी
माँ गंगे, मगर
एक अपनी कहानी
उतरी धरा पर
कभी शुभ्रवसना
अमृतमयी
मधु रससिक्त रसना
पावन, सरस
चाहें सृष्टि सजानी
वरद हस्त शिव का
कठिन भी सरल है
सीख लिया परहित
पीना गरल है
जन्म से मरण तक
शरण, गत न जानी
कभी रौद्र रूपा
कभी क्षीणतोया
सदा वत्सला माँ!
कलुष जन का धोया
बही अनवरत,
पाया खारा -सा पानी
तेरे कोप से माँ
जगत ये डरे
वरदायिनी क्यूँ
दया न करे
क्षमा कर मेरी
भूल जानी-अजानी
पतित पावनी तुम
मैं सादा-सा पानी
माँ गंगे, मगर
एक अपनी कहानी|
........०.........
डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
पतित पावनी तुम
मैं सादा सा पानी
माँ गंगे, मगर
एक अपनी कहानी
उतरी धरा पर
कभी शुभ्रवसना
अमृतमयी
मधु रससिक्त रसना
पावन, सरस
चाहें सृष्टि सजानी
वरद हस्त शिव का
कठिन भी सरल है
सीख लिया परहित
पीना गरल है
जन्म से मरण तक
शरण, गत न जानी
कभी रौद्र रूपा
कभी क्षीणतोया
सदा वत्सला माँ!
कलुष जन का धोया
बही अनवरत,
पाया खारा -सा पानी
तेरे कोप से माँ
जगत ये डरे
वरदायिनी क्यूँ
दया न करे
क्षमा कर मेरी
भूल जानी-अजानी
पतित पावनी तुम
मैं सादा-सा पानी
माँ गंगे, मगर
एक अपनी कहानी|
........०.........
bahut behtareen... !! ganga dashahra ki shubhkamnayen...
ReplyDeletehriday se dhanyawaad ....Mukesh Kumar Sinha ji
ReplyDeletesaadar
jyotsna sharma
पतित पावनी तुम
ReplyDeleteमैं सादा-सा पानी
माँ गंगे, मगर
एक अपनी कहानी|
आह ! इतनी सादगी से इतनी बड़ी साम्यता ? बहुत सुन्दर ज्योत्सना जी !
मेरी पंक्तियों के मर्म को स्पर्श करती आपकी प्रतिक्रिया सुखकर है सुशीला जी ..बहुत आभार !सादर
Deleteज्योत्स्ना शर्मा
पतित पावनी तुम
ReplyDeleteमैं सादा-सा पानी
माँ गंगे, मगर
एक अपनी कहानी|
वह बहुत ही अर्थपूर्ण , सुंदर भाव, बहुत बहुत शुभकामनाये
ह्रदय से आभार...Shorya Malik ji
Deletesaadar
jyotsna Sharma
मैं सादा-सा पानी
ReplyDeleteमाँ गंगे, मगर
एक अपनी कहानी|
.......... बहुत सुन्दर ज्योत्सना जी !
संजय भास्कर
शब्दों की मुस्कुराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
सकारात्मक उपस्थिति के लिए ह्रदय से आभार संजय जी !!
Deleteज्योत्स्ना शर्मा