एक
हो चैन से तय मेरा सफ़र सीख रही हूँ ,
रखने हैं कदम खुद की डगर सीख रही हूँ |
हों पाँव तो ज़मीन पर बाँहों में सितारे ,
रखनी है चाँद पे भी नज़र सीख रही हूँ |
अदना सा इक सवाल है वजूद क्या मेरा ,
रचना है मुझे प्यार का घर सीख रही हूँ |
कल की अमानतें हैं मेरे पास ,रह सकूँ ,
फूलों-फला ,शादाब शज़र सीख रही हूँ |
मैं बारहा उदास थी ,उसने कहा कि खिल ,
खिलकर कहीं न जाऊँ बिखर सीख रही हूँ |
कैद थी कब से कि अब आज़ाद सी तो हूँ ,
पर बाज़ से बचने का हुनर सीख रही हूँ ||
दो
नाम लहरों पे ऐसे......हमारा लिखा ,
ना तो कश्ती लिखी ना किनारा लिखा |
मुई मँहगाई ने....मन को मारा बहुत ,
फिर न करना है कैसे....गुज़ारा लिखा |
मुस्कुराते हुए ........हमसे पूछा किए ,
हाल कैसा खुदा ने.....तुम्हारा लिखा |
चाहतें ,दिल की मिल-जुल बसें बस्तियाँ ,
फिर ये नफ़रत का किसने शरारा लिखा |
हक़ खुशियों पे सबका.......बराबर तो है ,
किसलिए फिर ये....मेरा तुम्हारा लिखा |
छोड़ दें तेरी दुनिया ........जो हमने कहा ,
मर्सिया झट से उसने ......हमारा लिखा ||
ना तो कश्ती लिखी ना किनारा लिखा |
मुई मँहगाई ने....मन को मारा बहुत ,
फिर न करना है कैसे....गुज़ारा लिखा |
मुस्कुराते हुए ........हमसे पूछा किए ,
हाल कैसा खुदा ने.....तुम्हारा लिखा |
चाहतें ,दिल की मिल-जुल बसें बस्तियाँ ,
फिर ये नफ़रत का किसने शरारा लिखा |
हक़ खुशियों पे सबका.......बराबर तो है ,
किसलिए फिर ये....मेरा तुम्हारा लिखा |
छोड़ दें तेरी दुनिया ........जो हमने कहा ,
मर्सिया झट से उसने ......हमारा लिखा ||
ज्योत्स्ना शर्मा
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आपकी यह पोस्ट आज के (२६ अगस्त, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - आया आया फटफटिया बुलेटिन आया पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
ReplyDeleteआपके इस स्नेह सम्मान के लिए ह्रदय से आभार तुषार राज रस्तोगी जी
Deleteसादर !!
आपकी यह रचना कल मंगलवार (27-08-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteआपके इस स्नेह सम्मान के लिए ह्रदय से आभार अरुन शर्मा अनन्त जी
Deleteसादर !!
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें-
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
प्रोत्साहन भरी उपस्थिति के लिए बहुत आभार आपका ...हार्दिक शुभ कामनाएँ
Deleteसादर !!
waah bahut khud ...
ReplyDeleteहो चैन से तय मेरा सफ़र सीख रही हूँ ,
रखने हैं कदम खुद की डगर सीख रही हूँ |
dusri rachna bhi umda .. shubhkamnaye :)
प्रोत्साहन भरी उपस्थिति के लिए बहुत आभार आपका ...हार्दिक शुभ कामनाएँ
Deleteसादर !!
मैं बारहा उदास थी ,उसने कहा कि खिल ,
ReplyDeleteखिलकर कहीं न जाऊँ बिखर सीख रही हूँ ..
दोनों गजलें बहुत शशक्त, प्रभावी ओर स्पष्ट ... आनंद आ गया ...
प्रोत्साहन भरी उपस्थिति के लिए बहुत आभार आपका ...हार्दिक शुभ कामनाएँ
Deleteसादर !!
0 -हों पाँव तो ज़मीन पर बाँहों में सितारे ,
ReplyDeleteरखनी है चाँद पे भी नज़र सीख रही हूँ |
0-नाम लहरों पे ऐसे......हमारा लिखा ,
ना तो कश्ती लिखी ना किनारा लिखा |
-ज्योत्स्ना जी आपकी दोनों गज़ल बहुत अच्छी है। उपर्युक्त अशाअर्बहुत गहराई लिये हुए हैं ।
प्रोत्साहन भरी उपस्थिति के लिए बहुत आभार आपका ...हार्दिक शुभ कामनाएँ
Deleteसादर !!
मैं बारहा उदास थी ,उसने कहा कि खिल ,
ReplyDeleteखिलकर कहीं न जाऊँ बिखर सीख रही हूँ ..
.........दोनों गजलें बहुत अच्छी है।
प्रोत्साहन भरी उपस्थिति के लिए बहुत आभार आपका ...हार्दिक शुभ कामनाएँ
Deleteसादर !!