डॉ•भावना कुँअर को पढ़ना
मेरे लिए हमेशा रोमांचक, आत्मीय भाव जगाने वाला और रससिक्त करने वाला रहा है। सद्य
प्रकाशित सेदोका- संग्रह ‘ जाग उठी चुभन’ पढ़ा तो कुछ भाव उमड़ पड़े।हाइगा और हाइकु के रूप में
प्रस्तुत हैं-
डॉ•
ज्योत्स्ना शर्मा
1
बिखरी धूप
चेहरा चूमकर
निखरी धूप।
2
व्याकुल चाँद
ढूँढ रहा चाँदनी,
यहाँ छुपी थी !
3
क़ैद तुम्हारे
इन दोनों नैनों में,
सूरज , चाँद ।
4
हुई मुखर
फिर गीतों की गंगा
बहे निर्झर ।
-0-
Aapne to kamal kar diya logon ke anuswar SUNDR Photo ko or jayada sundar bana diya bahut bahut aabhar...
ReplyDeletebahut aabhar aapakaa aur haardik shubh kaamanaayen !
Deletesaadar
jyotsna sharma
आपने हाइकु के द्वारा सौन्दर्यबोध को ऊँचे सोपान पर बिठा दिया है । सभी हाइकु भावपूर्ण हैं।' व्याकुल चाँद
ReplyDeleteढूँढ रहा चाँदनी,
यहाँ छुपी थी !
सचमुच उस चाँदनी को भावना जी छुपाए हुए थी। ईश्वर से कामना है कि बाहर -भीतर यह चाँदनी अनवरत रूप से बरसती रहे। जीवन सरसता से आप्लावित होता रहे।
bahut aabhar aapakaa aur meri bhi haardik shubh kaamanaayen !
ReplyDeletesaadar
jyotsna sharma
क्या बात है ज्योत्स्ना जी!
ReplyDeleteबहुत खूब!!
बहुत आभार अमित जी !
Deleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
खूबसूरत हाइगा, भाव-विभूति से परिपूर्ण सभी हाइकु एक से बढ़ कर एक हैं. सुंदर लेखनी के लिए साधुवाद...डॉ भावना कुँअर जी को बधाई.
ReplyDeletebahut aabhaar aapakaa !
ReplyDeleteज्योत्सना जी आप की लिखत को पढ़ना ज्ञान को बढ़ाना है ।सैन्दर्य एवम् भाव से भरे हाइकु आन्नदित कर गये ।
ReplyDeleteसभी हाइकु रचना सौन्दर्य से परिपूर्ण दिल को छूने वाले हैं ।वधाई
स्नेह रहे आपका दीदी ..सादर नमन !
Deleteबहुत सुंदर ।
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