Monday, 7 March 2016

महकी कस्तूरी !

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

बिटिया आँगन की कलीउपवन का शृंगार |
महकी कस्तूरी हुई, महकाए संसार  ||

छू लेना आकाश मन ,रख मिट्टी का मान | 
तुम्हें धरा पर स्वर्ग का, करना है संधान ||

कहीं धूप अंगार सी, कहीं मिलेगी छाँव |
काँटे भी है राह में , सखी ! सँभल रख पाँव ........

.बहुत शुभ कामनाएँ !!

(चित्र गूगल से साभार )



4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-03-2016) को "आठ मार्च-महिला दिवस" (चर्चा अंक-2276) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आदरणीय !

      सादर
      ज्योत्स्ना शर्माँ

      Delete
  2. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!

    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका !

      सादर
      ज्योत्स्ना शर्मा

      Delete