Wednesday, 14 September 2016

मन हिंदी मुस्काई !




डॉ ज्योत्स्ना शर्मा

बरस बीतते एक दिवस तो
मेरी सुध आई
मन हिन्दी  मुस्काई ।

गिट-पिट बोलें घर बाहर सब
नाती और पोते
नन्ही स्वीटी रटती टेबल
खाते और सोते
खूब पार्टी घर में अम्मा
बैठी सकुचाई
मन हिन्दी  मुस्काई !

ओढ़े बैठे अहंकार की
गर्द भरी चादर
मान करें मदिरा का छोड़ी
सुधामयी गागर
पॉप,रैप  के संग डोलती
बेबस कविताई
मन हिन्दी  मुस्काई !

अपनों में अपनापन लगता
झूठा- सा सपना
कहाँ छोड़ आए हो बोलो
स्वाभिमान अपना
गौरव गाथा दीन-हीन की
जग ने कब गाई
मन हिन्दी  मुस्काई !

~~~~****~~~~

(चित्र गूगल से साभार )

14 comments:

  1. बरस बीतते एक दिवस तो
    मेरी सुध आई
    मन हिन्दी मुस्काई ।

    गिट-पिट बोलें घर बाहर सब
    नाती और पोते
    नन्ही स्वीटी रटती टेबल
    खाते और सोते
    खूब पार्टी घर में अम्मा
    बैठी सकुचाई
    मन हिन्दी मुस्काई !
    "हिंदी दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ !"

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 15-09-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2466 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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    1. हृदय से आभार आपका !

      सादर
      ज्योत्स्ना शर्मा

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  3. वाह! सखी ! बहुत ख़ूब !!!

    ~सस्नेह
    अनिता ललित

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  4. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद आपका !

      सादर
      ज्योत्स्ना शर्मा

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  5. गौरव गाथा दीन-हीन की
    जग ने कब गाई

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका !

      सादर
      ज्योत्स्ना शर्मा

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  6. बहुत शुक्रिया आपका !

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