डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
जाने के बाद
करती रहीं यादें
मुझको याद।1
सबको भाते
सोते हुए,ख्वाब में-
मुस्काते बच्चे ।2
मत उठाना
अँगुली किसी ओर
टूटना तय ।3
कमी तो न थी
फिर भी सहेजे हैं
तेरे भी गम ।4
चलते रहे
मूँदकर आखों को
वही सही था ।5
वो कहाँ रुका
लगता था ऐसा,कि-
गगन झुका ।6
उड़ता पंछी
ताक लगाए बाज
बैठा शिकारी।7
सूरज आया
आँगन किलकता
हँसते फूल।8
अनोखे किस्से
छुपाए हुए बैठी
अँधेरी रात ।9
कैसा गुरूर
शीशे का यह घर
होना है चूर ।10
गाता ही रहे
मन का इकतारा
गीत तुम्हारा।11
धुंधली हुईं
कुहासे में किरणें
वक्त की चाल ।12
-०-०-०-०-०-०-
(चित्र गूगल से साभार)
जाने के बाद ... करती रहीं यादें ... मुझको याद !
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (08-02-2019) को "यादों का झरोखा" (चर्चा अंक-3241) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
hruday se abhaar aadraniiy !
Deleteसभी हाइकु और हाइगा बहुत सुंदर, हार्दिक बधाई आपको ��������������������
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सुनीता जी
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर हाइकू ...
ReplyDeleteअनेक मासूम पहलुओं को बन कर लिखे हाइकू ... सभी कमाल के ...
हार्दिक धन्यवाद् आदरणीय
Deleteधुंधली हुईं
ReplyDeleteकुहासे में किरणें
वक्त की चाल ।
कमाल के हाइकू ...
हृदय से आभार संजय जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना....आप को होली की शुभकामनाएं...
ReplyDeleteहृदय से आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जेन्नी जी
Deleteबहुत ही सुंदर रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteHardik dhanyawad aapka
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