दिल से दिल का जुड़े गुलाबी तार होली में
हो खुशियों के रंगों की बौछार होली में ।
सतरंगी सपने जो देखे तरसे नयनों ने
सच हो जाएँ सब के सब इस बार होली में !
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आया है रंगीला मौसम ,
कैसा छैल-छबीला मौसम ।
सब्ज धरा के अंग -अंग पर ,
लाल, गुलाबी , पीला मौसम ।
बागों में बौराया डोले ,
सुन्दर , खूब सजीला मौसम ।
आकर बैठ गया धरने पर ,
देखो आज हठीला मौसम ।
आँखों में अक्सर रहता है ,
सूखा कभी पनीला मौसम ।
लो देखो फिर से आया है ,
वादों का नखरीला मौसम ।
वो देखें तो मुझपर छाए ,
जाने क्यों शर्मीला मौसम ।
('उदंती' में प्रकाशित )
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐💐
ReplyDeleteअरे भई वाह ! क्या तो शुरुआती छंद और क्या आगे की रंगभरी ग़ज़ल ! ग़ज़ब लिखती हैं आप ज्योति जी ।
ReplyDeleteइस स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभारी हूँ जितेन्द्र जी 💐🙏
Deleteअर्थात् ज्योत्स्ना जी ।
ReplyDelete💐🙏
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteरंगों के महापर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत बहुत आभार आदरणीय , सपरिवार आपके लिए भी बहुत बहुत शुभकामनाएँ 🙏💐
Deleteबहुत सुन्दर शुभकामनायें होली की,बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका 💐🙏
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ReplyDeleteसुंदर सुरमई रचना ।
ReplyDeleteसुन्दर, प्रेरक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार जिज्ञासा जी 🙏
ReplyDeleteवाह क्या कहने. आपको पढकर सदैव सुखद अनुभूति होती है
ReplyDeleteदिल से शुक्रिया जी 🙏😊
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