Saturday, 27 March 2021

157- खुशी के रंग !







 


दिल से दिल का जुड़े गुलाबी तार होली में
हो खुशियों के रंगों की बौछार होली में ।

सतरंगी सपने जो देखे तरसे नयनों ने
सच हो जाएँ सब के सब इस बार होली में !

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आया है रंगीला मौसम ,

कैसा छैल-छबीला मौसम ।


सब्ज धरा के अंग -अंग पर ,

लाल, गुलाबी , पीला मौसम ।


बागों में बौराया डोले , 

सुन्दर , खूब सजीला मौसम ।


आकर बैठ गया धरने पर ,

देखो आज हठीला मौसम ।


आँखों में अक्सर रहता है ,

सूखा कभी पनीला मौसम ।


लो देखो फिर से आया है ,

वादों का नखरीला मौसम ।


वो देखें तो मुझपर छाए ,

जाने क्यों शर्मीला मौसम ।


('उदंती' में प्रकाशित )


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

15 comments:

  1. होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐💐

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  2. अरे भई वाह ! क्या तो शुरुआती छंद और क्या आगे की रंगभरी ग़ज़ल ! ग़ज़ब लिखती हैं आप ज्योति जी ।

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    1. इस स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभारी हूँ जितेन्द्र जी 💐🙏

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  3. अर्थात् ज्योत्स्ना जी ।

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    रंगों के महापर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय , सपरिवार आपके लिए भी बहुत बहुत शुभकामनाएँ 🙏💐

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  5. बहुत सुन्दर शुभकामनायें होली की,बहुत धन्यवाद

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    1. हृदय से आभार आपका 💐🙏

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  8. सुंदर सुरमई रचना ।

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  9. सुन्दर, प्रेरक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार जिज्ञासा जी 🙏

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  10. वाह क्या कहने. आपको पढकर सदैव सुखद अनुभूति होती है

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    1. दिल से शुक्रिया जी 🙏😊

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