Friday, 9 April 2021

159- सारा आकाश !

 












मन में शोर
भागी है उठकर
नैनों से नींद ।1

****

पक्की दीवार
कीलों की फितरत
जाती है हार !2

****

ऊषा मगन
ले मोतियों के हार
करे शृंगार !3

****

थामो कमान
तरकश से तीर
स्वयं न चलें ।4

****

काव्य-कुसुम
प्रेम की सुगंध में
भीगे-से शब्द !5

****

रहे अछूता
विकट विकारों से
भाव-भवन ।6

****

उड़ी पतंग
नाच रही नभ में
डोर बँधी है ।7

****

फिक्र में जागे
नयनों में सपने
नहीं सजते ।8

****

दिया उसने
बाहों में भरकर
सारा आकाश ।9

****

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

23 comments:

  1. थामो कमान
    तरकश से तीर
    स्वयं न चलें !

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (11-04-2021) को   "आदमी के डसे का नही मन्त्र है"  (चर्चा अंक-4033)    पर भी होगी। 
    -- 
       सत्य कहूँ तो हम चर्चाकार भी बहुत उदार होते हैं। उनकी पोस्ट का लिंक भी चर्चा में ले लेते हैं, जो कभी चर्चामंच पर झाँकने भी नहीं आते हैं। कमेंट करना तो बहुत दूर की बात है उनके लिए। लेकिन फिर भी उनके लिए तो धन्यवाद बनता ही है निस्वार्थभाव से चर्चा मंच पर टिप्पी करते हैं।
    --  
       सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

    ReplyDelete
  3. हृदय से आभार आदरणीय । 'चर्चा मंच' पर सहभागिता मेरे लिए गौरव का विषय है 🙏
    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

    ReplyDelete
  4. आपका काव्य-सृजन चाहे किसी भी विधा, किसी भी शैली, किसी भी रूप में हो; अद्भुत ही होता है। पढ़कर लगता है कि कुछ स्तरीय पढ़ा है। यह पोस्ट भी अपवाद नहीं है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया मेरे लेखन को ऊर्जा दे गई, आत्मिक आभार 🙏

      Delete
  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना आज शनिवार १० अप्रैल २०२१ को शाम ५ बजे साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,

    ReplyDelete
    Replies
    1. इस स्नेह , सम्मान के लिए सहृदय धन्यवाद महोदया 🌷🙏🌷

      Delete
  6. बहुत खूबसूरत हाइकु ... पूरी बात कहने में सक्षम

    सभी बेहतरीन ... ये विशेष पसंद आया ...
    ऊषा मगन
    ले मोतियों के हार
    करे शृंगार !3
    #############

    शबनम से
    किया श्रृंगार भू ने
    मोती चमके .....

    एक हाइकु आपके हाइकु पर ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद संगीता जी 🙏

      शबनम से .... मोहक दृश्य उकेरता सुन्दर हाइकु रचा आपने, बधाई 💐💐

      Delete
  7. अति सुन्दर सृजन।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत आभार आपका 💐🙏

      Delete
  8. हाइकु कहो या हाइगा ,
    भावभंगिमाएं सरणियाँ जीवन धार।
    veerujan.blogspot.com

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आपका 💐🙏

      Delete
  9. बहुत सुंदर सारगर्भित हाइकु । सादर शुभकामनाएं ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद जी 💐🙏

      Delete
  10. बहुत सुंदर हाइकु

    ReplyDelete
  11. ऊषा मगन
    ले मोतियों के हार
    करे शृंगार !

    सभी हाइकु बहुत ---हार्दिक बधाई सखी

    ReplyDelete