चले उधर ही जिधर चलाऊँ
मैं उसपर बलिहारी जाऊँ
चाल अनोखी ,चले अगाड़ी
क्या सखि साजन, ना सखि गाड़ी !1
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कभी हँसाए कभी रुलाए
दूर-दूर की सैर कराए
जब भी देखूँ लगता अपना
क्या सखि साजन, ना सखि सपना !2
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छीन ले गया चूनर मेरी
इधर-उधर की मारे फेरी
पीछे आए घर के अन्दर
क्या सखि साजन ना सखि बन्दर !3
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मुझ सा बनकर सम्मुख आए
मैं मुसकाऊँ वो मुसकाए
सब कुछ मेरा उसपर अर्पण
क्या सखि साजन, ना सखि दर्पण!4
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मधुर भाव हैं बड़ा रसीला
करे कभी नयनों को गीला
जाने महफिल खूब जमाना
क्या सखि साजन, ना सखि गाना !5
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कैसे काम करूँ मैं पूरा
सब कुछ उसके बिना अधूरा
उस बिन इक पल चले न जीवन
क्या सखि साजन, ना ऑक्सीजन !6
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यूँ तो अक्सर बोले जाए
दुनिया भर की बात सुनाए
कभी चिड़ाए धरकर मौन
क्या सखि साजन ,नहीं सखि फोन!7
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उसपर अपनी जान लुटा दूँ
उसकी खातिर जहाँ भुला दूँ
भरे भाव की पावन गंगा
क्या सखि साजन, नहीं तिरंगा !8
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दम-दम दमके रूप सजाए
लगे गले तो मन हर्षाए
यूँ मन पर जादू कर डाला
क्या सखि साजन, ना सखि माला !9
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यूँ तो है वह बिल्कुल काला
नैन बसे ने जादू डाला
ज़रा चरपरा करता घायल
क्या सखि साजन, ना सखि काजल !10
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डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
(चित्र गूगल से साभार)
कहमुकरियां! यह विधा तो अब देखने में ही नहीं आती। आपने इस पर हाथ आज़माया है और कहना न होगा कि अधिकांश (सभी तो नहीं) कहमुकरियां सटीक हैं। अभिनन्दन आपका।
ReplyDeleteप्रेरणादायक उपस्थिति के लिए हृदय से आभार आपका 💐🙏
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 20 अक्टूबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
इस स्नेह और सम्मान के लिए हृदय से आभार आपका, अवश्य उपस्थित रहूँगी 💐🙏
ReplyDeleteमधुर भाव हैं बड़ा रसीला
ReplyDeleteकरे कभी नयनों को गीला
जाने महफिल खूब जमाना
क्या सखि साजन, ना सखि गाना
बहुत ही सुंदर😃😃😃
सरस प्रतिक्रिया हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏💐
Deleteवाह! एक से बढ़कर एक मुकरियाँ! बधाई
ReplyDeleteप्रेरक प्रतिक्रिया हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏💐
ReplyDeleteपढ़कर बहुत बढ़िया लगा। बहुत सुंदर कह -मुकरियाँ प्रस्तुति। आपको बहुत-बहुत बधाई।
ReplyDeleteसुन्दर, प्रेरक उपस्थिति के लिए हृदय से आभार आपका 🙏
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(२१-१०-२०२१) को
'गिलहरी का पुल'(चर्चा अंक-४२२४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
चर्चा अंक में स्थान देने के लिए हृदय से आभार आपका, मेरी भावाभिव्यक्ति को प्रसार और लेखनी को ऊर्जा दी है आपने, दिल से शुक्रिया
Deleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteप्रशंसापरक , प्रेरक उपस्थिति के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आपका ।
Deleteसुन्दर सृजन
ReplyDeleteइस सहृदय उपस्थिति के बहुत-बहुत धन्यवाद।
Deleteएक गुम होती जा रही विधा को सहेजने का सुंदर प्रयास
ReplyDeleteनि:सन्देह यही मन्तव्य है मेरा, आपको कुछ पसंद आया आभार 🙏
Deleteउसपर अपनी जान लुटा दूँ
ReplyDeleteउसकी खातिर जहाँ भुला दूँ
भरे भाव की पावन गंगा
क्या सखि साजन, नहीं तिरंगा
वाह!!
लाजवाब कहमुकरियाँ...
एक से बढ़कर एक।
आपकी प्रेरक उपस्थिति नव लेखन की ऊर्जा दे गई , हृदय से आभार 🙏
ReplyDeleteउसपर अपनी जान लुटा दूँ
ReplyDeleteउसकी खातिर जहाँ भुला दूँ
भरे भाव की पावन गंगा
क्या सखि साजन, नहीं तिरंगा !
कहमुकरियों में देशभक्ति भाव बहुत सुंदर लगा । लाजवाब सृजन।
आपकी प्रतिक्रिया मेरी प्रेरणा है , हृदय से आभार आपका 🙏
Deleteमधुर भाव हैं बड़ा रसीला
ReplyDeleteकरे कभी नयनों को गीला
बहुत सुंदर सृजन
प्रेरक प्रतिक्रिया सहित उपस्थिति के लिए हृदय से आभार आपका 🙏
Deleteएक से बढ़कर एक मुकरियाँ बधाई
ReplyDeleteआपकी प्रतिक्रिया नव लेखन की प्रेरणा है , हृदय से आभार संजय जी 🙏
Deleteचले उधर ही जिधर चलाऊँ
Deleteमैं उसपर बलिहारी जाऊँ
चाल अनोखी ,चले अगाड़ी
क्या सखि साजन, ना सखि गाड़ी !1
वाह! गज़ब की कह मुकरियाँ प्रिय सखी
खूब आनंद आया पढ़कर ..आपकी साहित्यिक साधना को नमन🙏🙏🙏🌹🌹🌹
आभार सखी। आपकी प्रतिक्रिया मेरी प्रेरणा है , बारम्बार धन्यवाद 🌹🙏🌹🙏
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