Saturday, 13 May 2023

182-बस नाम तुम्हारा !



जन्मा मुझे ,मैं जो भी हूँ उसने ही बनाया
खाना, लिखना , बोलना उसने ही सिखाया
सही गलत की उसने ही पहचान बताई
चलना है मुझे जिसपे सही पथ भी दिखाया ।।1
        **************
मुस्कुराके लाड़ से दुलारती भी है
बालों को बड़े प्यार से संवारती भी है
दो पल उदास वो मुझे रहने नहीं देती
करती हूँ गल्तियां तभी फटकारती भी है।।2
         ***************
छाए निराशा उसने गले से लगा लिया
आँचल में अपने प्यार से कितने छुपा लिया
अपने लिए किसी से कुछ भी मांगती न थी
बच्चों के लिए घर को ही सिर पर उठा लिया ।।3
         **************
अपनी चाहतों को जिया ही नहीं कभी
पीड़ा का अपनी ज़िक्र किया ही नहीं कभी
हौंसलों को मेरे उसने पंख दे दिए
सपनों पे अपने ध्यान दिया ही नहीं कभी ।।4
         **************
सबके मनों को जानती है मन की नेक है
सब मोतियों को जोड़ता धागा वो एक है
भेद सबके मौन में रखती लपेटकर
तब ही तो सबके मन की मधुरतम सी टेक है।।5
           *************
साए में जिसके प्यारी धूप प्यारी शाम है
जो सबके लिए सारे सुखों का ही धाम है
पुकारते हैं मुश्किलों में बस सदा ही 'माँ' !
आता है याद जो वो तुम्हारा ही नाम है ।।6

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 



17 comments:

  1. समस्त मातृशक्ति को सादर नमन 🌹🙏🌹

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा मंगलवार (16-05-2023) को   "काहे का अभिमान करें"   (चर्चा-अंक 4663)   पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय 💐

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  3. मां पर क्या खूब लिखा आपने 👌
    सभी माताओं का हार्दिक अभिनन्दन 🙏

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    1. हृदय से आभार आपका 🙏💐

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  4. हौंसलों को मेरे उसने पंख दे दिए
    सपनों पे अपने ध्यान दिया ही नहीं कभी

    माँ ऐसी ही होती है, सुन्दर भावनाओं से सजी रचना !

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका 🙏💐

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  5. शानदार रचना है...खूब बधाई । कृपया प्रकृति दर्शन के इस ब्लॉग को फालो कीजिएगा।

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    1. बहुत - बहुत आभार आपका 🙏

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  6. सुन्दर भावनाओं से सजी रचना

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    1. हार्दिक धन्यवाद संजय जी 🙏

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  7. साए में जिसके प्यारी धूप प्यारी शाम है
    जो सबके लिए सारे सुखों का ही धाम है
    पुकारते हैं मुश्किलों में बस सदा ही 'माँ' !
    आता है याद जो वो तुम्हारा ही नाम है ...maa se duja koi nai jag mein...

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    1. जी, सही कहा आपने । इस स्नेहसिक्त उपस्थिति के लिए आभार 🙏

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  8. बहुत सुंदर रचना माँ के लिए जितना भी लिखो कम ही लगता है,

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    1. हृदय से आभार आपका, सादर वन्दे 🙏

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  9. आपने मातृशक्ति को शब्दों के माध्यम से बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुत किया है।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका 🙏

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