Tuesday, 2 July 2013

फूल सा खिलना .......

डॉ ज्योत्स्ना शर्मा 



जान गए, बस कहा न  जाए ,
रात ,सुबह को क्या समझाए ।1 

मर्यादा  से  बाँधे  रखना ,
भाव गीत का भटक न जाए ।2

ज़रा प्यार से छूना ए दिल ,
आस का पंछी उड़ न जाए ।3 

एक खुशी है ,नेक परी- सी ,
पर मुश्किल है ,पास न आए ।4 

काँटों में उस फूल- सा खिलना ,
आह भरे ना  ,बस महकाए ।5 

जो हक है वो देना मालिक ,
दिल का क्या है रोए ,गाए ।6
           -o-

6 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर हिंदी की गज़ल ...

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    1. ह्रदय से आभार ..आ दिगम्बर नासवा जी .

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  2. वाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूब

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    1. बहुत शुक्रिया ..संजय जी

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