डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
जान गए, बस कहा न जाए ,
रात ,सुबह को क्या समझाए ।1
मर्यादा से बाँधे रखना ,
भाव गीत का भटक न जाए ।2
ज़रा प्यार से छूना ए दिल ,
आस का पंछी उड़ न जाए ।3
एक खुशी है ,नेक परी- सी ,
पर मुश्किल है ,पास न आए ।4
काँटों में उस फूल- सा खिलना ,
आह भरे ना ,बस महकाए ।5
जो हक है वो देना मालिक ,
दिल का क्या है रोए ,गाए ।6-o-
बहुत ही सुन्दर हिंदी की गज़ल ...
ReplyDeleteह्रदय से आभार ..आ दिगम्बर नासवा जी .
Deleteवाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया ..संजय जी
DeleteBahut sundar
ReplyDeletebahut aabhaar Seema ji
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