Saturday, 13 July 2013

हर घर में उजाला हो .....

डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा 


 कहने को तो हर दिल की इतनी सी कहानी है .......
लब पर बस आहें हैं आँखों में पानी है .....
फिर भी दुआएँ तो करती हूँ 
,इस उम्मीद के साथ कि वो सुनेंगें जरूर ......

नूरे तबस्सुम हो, हर मुँह को निवाला हो ,
रहमत का तेरी मौला हर घर में उजाला हो।

तस्वीरों के संग, तक़दीर भी बदलेगी ,
जब ख्वाब सँवरने का, हर आँख ने पाला हो।

आसान सी राहों पर तो  क़दम बढ़ेगें  ही ,
है बात कि मुश्किल में जो खुद को सँभाला हो ।

मेरी दुआओं में तुम इतना असर रखना ,
खुद बढ़कर वो  थामे जो मारने वाला हो ॥

दिन मेरी उम्मीदों के  यूँ ही रवाँ रखना ,
फिर धूप की चादर हो या स्याह दुशाला हो।

खुशियाँ भी मनाना तुम, ऐसा ना रहे 'ज्योति',
इक रोज़ हो दीवाली इक रोज़ दिवाला हो ।
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12 comments:

  1. आपकी यह रचना कल रविवार (14 -07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक
    की गई है कृपया पधारें.

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    1. ह्रदय से आभारी हूँ ..अरुन शर्मा जी

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  2. मेरी दुआओं में तुम इतना असर रखना ,
    खुद बढ़कर वो थामे जो मारने वाला हो........ bohat khoob

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    1. बहुत बहुत आभार ..Aparna जी

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    1. बहुत शुक्रिया ..अरुण कुमार निगम जी

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  4. तस्वीरों के संग तक़दीर भी बदलेगी ,
    जब ख्वाब सँवरने का हर आँख ने पाला हो |-----

    बहुत सुंदर और सार्थक अनुभूति
    जीवन जीने की ललक को जगाती हुई
    बधाई


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    1. jyoti khare ji ..हार्दिक धन्यवाद !!

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  5. बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

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    1. ह्रदय से आभार ..संजय जी !!

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  6. ग़ज़ल के सभी अशआर प्रभावित करते हैं ;किन्तु यह शेर ज़्यादा मार्मिक है- मेरी दुआओं में तुम इतना असर रखना ,
    खुद बढ़कर वो थामे जो मारने वाला हो ॥

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    1. बहुत बहुत आभार आ काम्बोज भाई जी

      सादर
      ज्योत्स्ना शर्मा

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