डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
कहने को तो हर दिल की इतनी सी कहानी है .......
लब पर बस आहें हैं आँखों में पानी है .....
फिर भी दुआएँ तो करती हूँ
,इस उम्मीद के साथ कि वो सुनेंगें जरूर ......
नूरे तबस्सुम हो, हर मुँह को निवाला हो ,
रहमत का तेरी मौला हर घर में उजाला हो।
तस्वीरों के संग, तक़दीर भी बदलेगी ,
जब ख्वाब सँवरने का, हर आँख ने पाला हो।
आसान सी राहों पर तो क़दम बढ़ेगें ही ,
है बात कि मुश्किल में जो खुद को सँभाला हो ।
मेरी दुआओं में तुम इतना असर रखना ,
खुद बढ़कर वो थामे जो मारने वाला हो ॥
दिन मेरी उम्मीदों के यूँ ही रवाँ रखना ,
फिर धूप की चादर हो या स्याह दुशाला हो।
खुशियाँ भी मनाना तुम, ऐसा ना रहे 'ज्योति',
इक रोज़ हो दीवाली इक रोज़ दिवाला हो ।
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आपकी यह रचना कल रविवार (14 -07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक
ReplyDeleteकी गई है कृपया पधारें.
ह्रदय से आभारी हूँ ..अरुन शर्मा जी
Deleteमेरी दुआओं में तुम इतना असर रखना ,
ReplyDeleteखुद बढ़कर वो थामे जो मारने वाला हो........ bohat khoob
बहुत बहुत आभार ..Aparna जी
Deleteसुंदर गज़ल........
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया ..अरुण कुमार निगम जी
Delete
ReplyDeleteतस्वीरों के संग तक़दीर भी बदलेगी ,
जब ख्वाब सँवरने का हर आँख ने पाला हो |-----
बहुत सुंदर और सार्थक अनुभूति
जीवन जीने की ललक को जगाती हुई
बधाई
jyoti khare ji ..हार्दिक धन्यवाद !!
Deleteबहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
ReplyDeleteह्रदय से आभार ..संजय जी !!
Deleteग़ज़ल के सभी अशआर प्रभावित करते हैं ;किन्तु यह शेर ज़्यादा मार्मिक है- मेरी दुआओं में तुम इतना असर रखना ,
ReplyDeleteखुद बढ़कर वो थामे जो मारने वाला हो ॥
बहुत बहुत आभार आ काम्बोज भाई जी
Deleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा