सबसे सुनी
है यहाँ कबसे सुनी है यहाँ ,
रीत मन
भावन ये पावन पुरानी है ।
रस मकरंद
भरे मन में आनंद भरे ,
बाँधती है
डोर पर लगती सुहानी है ।
यूँ तो हर
दिन कहूँ भर के उमंग कहूँ ,
वारने को
आप पे ये कम जिंदगानी है ।
सुख हो या
दुःख हो न छोड़े कभी साथ सखा ,
आज यही
बात हमें आपसे बतानी है ।।
ज्योत्स्ना
शर्मा
4-08-2013
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मैत्री दिवस पर गहरा भाव लिये कवित्त ! सब सन्देशों का सार इन पंक्तियों में बता दिया है-सुख हो या दुःख हो न छोड़े कभी साथ सखा ,
ReplyDeleteआज यही बात हमें आपसे बतानी है ||
सुन्दर सुखद प्रतिक्रिया हेतु ह्रदय से आभार आपका !
Deleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा