Saturday, 3 August 2013

शुभ मित्रता दिवस


सबसे सुनी है यहाँ कबसे सुनी है यहाँ ,
रीत मन भावन ये पावन पुरानी है ।
रस मकरंद भरे मन में आनंद भरे ,
बाँधती है डोर पर लगती सुहानी है ।
यूँ तो हर दिन कहूँ भर के उमंग कहूँ ,
वारने को आप पे ये कम जिंदगानी है ।
सुख हो या दुःख हो न छोड़े कभी साथ सखा  ,
आज यही बात हमें आपसे बतानी है ।।

ज्योत्स्ना शर्मा
4-08-2013

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2 comments:

  1. मैत्री दिवस पर गहरा भाव लिये कवित्त ! सब सन्देशों का सार इन पंक्तियों में बता दिया है-सुख हो या दुःख हो न छोड़े कभी साथ सखा ,
    आज यही बात हमें आपसे बतानी है ||

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    1. सुन्दर सुखद प्रतिक्रिया हेतु ह्रदय से आभार आपका !

      सादर
      ज्योत्स्ना शर्मा

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