Thursday, 5 September 2013

मन का तार सितार हुआ है .....

चित्र :गूगल से साभार
 
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

मन का तार सितार हुआ है ,
गीतों से....गुलज़ार हुआ है ।

ग़म अपनाए खुशियाँ बाँटीं ,
मत कहिये व्यापार हुआ है ।

माना राहें....बहुत कठिन हैं ,
अब चलना...दुश्वार हुआ है ।

बहुत अँधेरा...दीप जला लें ,
देखें...अब उजियार हुआ है ।

सतत दया हो जो प्रभु तेरी ,
बन्दा भव से....पार हुआ है ।

बोलें तो.........ऐसा वो बोलें ,
वाणी का......शृंगार हुआ है ।

हम हिंदी हैं ...एक लगन है ,
हमें वतन से...प्यार हुआ है ।

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14 comments:

  1. नमस्कार आपकी यह रचना आज शुक्रवार (06-09-2013) को निर्झर टाइम्स पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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    1. हृदय से धन्यवाद ..अरुन जी आपकी स्नेहमयी प्रेरणा हेतु आभार !

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    1. प्रोत्साहन भरी उपस्थिति के लिए बहुत आभार आपका |

      सादर !!

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  3. सुन्दर गीत

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    1. प्रोत्साहन भरी उपस्थिति के लिए बहुत आभार आपका |

      सादर !!

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  4. बहुत खुबसूरत रचना... सितार सा ठंडक देता हुआ ..

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    1. प्रोत्साहन भरी उपस्थिति के लिए बहुत आभार आपका |

      सादर !!

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  5. बहुत प्रभावशाली प्रस्तुति । भावों के साथ चित्र -संयोजन भी अर्थपूर्ण है।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका प्रेरक उपस्थिति के लिए |

      सादर !

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  6. अरे वाह ..
    आप तो बहुत अच्चा और मधुर लिखतीं हैं !!
    बधाई !

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सतीश सक्सेना जी |

      सादर !

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  7. आप बहुत अच्छा लिखती हैं और गहरा भी बधाई....!!!

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    1. हृदय से धन्यवाद संजय भास्कर जी |

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