डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
हे पार्वतीनन्दन! प्रभु ,इतनी
विनय गणेश !
गूगल से साभार |
दूर करें संसार के ,विघ्न
,कष्ट सब क्लेश।।
संग हँसे ,रोयें सदा ,नहीं मिलन की रीत ।
प्रभु मेरी तुमसे हुई ,ज्यों
नैनन की प्रीत॥
खुशबू के मिस फूल ने ,भेज
दिया सन्देश ।
हाल हमारा देखने , आओ तो इस देश ॥
घोटालों के दौर में , यही हमारी माँग ।
घोट- घोट कर हम पियें,प्रभु
सुमिरन की भाँग ।।
नशा आपके नाम का , खूब कटेगी रात ।
मेरा मन करता रहे , उनके मन की बात ।।
सादर नमन वंदन ......हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ ...
ज्योत्स्ना
शर्मा
सभी दोहों को उदात्त भावों को अनुप्राणित किया गया है
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका |
Deleteसादर !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी लेखक मंच पर आप को सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपके लिए यह हिंदी लेखक मंच तैयार है। हम आपका सह्य दिल से स्वागत करते है। कृपया आप भी पधारें, आपका योगदान हमारे लिए "अमोल" होगा |
ReplyDeleteमैं रह गया अकेला ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः003
हृदय से आभार आपका |
Deleteसादर !
नमस्कार आपकी यह रचना आज मंगलवार (09-09-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका |
Deleteसादर !
बहुत खुबसूरत रचना .... गणेश चतुर्दशी की शुभकामनायें ...
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका |
Deleteसादर !
Ganesh chturthi par sunder Doha vandana.
ReplyDeleteबहुत आभार आशा जी |
Deleteसादर !
मधुर वन्दना ...
ReplyDeleteआभार आपका !
हृदय से धन्यवाद सतीश सक्सेना जी |
Deleteसादर !