डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
सब मुझको मीठी कहते हैं
माँ कहती है कम बतियाओ ।
मेरी फ्रॉक बड़ी ही सुन्दर
माँ कहती है कम इतराओ ।
पापा कहते परी हूँ उनकी
माँ कहती है मुँह धो आओ ।
बच्चे कहते आओ खेलें
माँ कहती है पढ़ने जाओ ।
फास्ट फ्रेंड से हुआ है पंगा
माँ कहती है भूल भी जाओ ।
मेरी गुड़िया सोई न अब तक
मेरी गुड़िया सोई न अब तक
माँ कहती है अब सो जाओ ।
आँख में आँसू देखे बोले
गले लगा लूँ पास तो आओ ।
---------------०००००----------------
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक कल सोमवार (23-09-2013) को "वो बुलबुलें कहाँ वो तराने किधर गए.." (चर्चा मंचःअंक-1377) पर भी होगा!
हिन्दी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी भावनाओं के प्रति आपके इस स्नेह भाव के लिए ह्रदय से आभारी हूँ |
Deleteसादर !!
सुन्दर बाल कविता .....
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका |
Deleteसादर !
वाह ! बेहद खूबसूरती से कोमल भावनाओं को संजोया इस प्रस्तुति में आपने ...
ReplyDeleteबेटी दिवस की शुभ कामनाएँ एवं सुंदर सृजन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा जी
हृदय से आभार संजय भास्कर जी |
Deleteसादर !
sundar baal kavita
ReplyDeleteLatest post हे निराकार!
latest post कानून और दंड
हृदय से आभार कालीपद प्रसाद जी |
Deleteसादर !