Monday, 7 October 2013

माँ धरणी सम धारिणी !!




                               चित्र गूगल से साभार 
डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा 


मैया जीवन दायिनी ,सब सुख का आधार ,
माँ धरणी सम धारिणी ,माँ नभ सा विस्तार |
माँ नभ सा विस्तार ,स्नेह की अविरल धारा ,
प्रतिपल मन की चाह ,थाम लें हाथ तुम्हारा |
हमें उतरना पार ,  नाव की बनें खिवैया ,
जग की पालनहार , हे वरदायिनी मैया ||

मैंने कुछ बोला नहीं, रहे अधर बस मौन,
फिर मेरे मन की दशा, भला बताए कौन।
भला बताए कौन  , दिलासा दे जाती हो,
देकर सरल निदान, विघ्न सब ले जाती हो।
संस्कार किए भेंट  , मुझे सुन्दर से गहने,
माँ तेरे उपहार  , मान से पहने मैंने ||

माँ कहते ही आ गई ,फिर मुख पर मुस्कान ,
मुकुलित है मन की कली ,हुए उमंगित प्राण |
हुए उमंगित प्राण , याद जब तेरी आए ,
सुमना सी मन वास ,साँस मेरी महकाए |
संग सखी सी आप ,सदा रहती मेरे हाँ ,
आया क्या ना याद ,मुझे बस कहते ही माँ !!


~~~~~~~~००००००~~~~~~~



  


2 comments:

  1. भला बताए कौन , दिलासा दे जाती हो,
    देकर सरल निदान, विघ्न सब ले जाती हो ..

    माँ तो पालन हार है ... सब दुख दर्द चुटकी में ले जाती है ... सब खुशियां दे जाती है ...
    माँ के चरणों में सुन्दर छंद काव्य हैं ...

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका दिगम्बर नासवा जी |

      सादर !

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