Monday, 16 December 2013

श्रद्धांजलि ...निर्भया !

                             

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

1
देकर ...
किरणों से ...
थोडा  सा तेज ..
थोड़ा सा  रूप ..
बना दो न दिनकर ..
मुझ को भी ....धूप ..

2
दीप्त दामिनी सी रह - रह कर अपना भान  कराती जाना ,
मधुर कण्ठ से मृदुल सुकोमल स्वरमय तान सुनाती जाना |
अस्तित्व मिटे न भीड़ भरे... इन चौराहों पर कहीं तुम्हारा ;
नारी बन अंगार अलग स्वयं की पहचान बनाती जाना ......

-0- सत्यं , शिवम् ,सुन्दरम् के सृजन के लिए ..और ..अमंगल के दहन के लिए यह अग्नि सदैव जीवित ..जाग्रत रहे ऐसी कामना के साथ ...
...सजल नयन ...श्रद्धांजलि ...निर्भया !

------------०००००००-----------
 ( चित्र गूगल से साभार )


10 comments:

  1. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी |
      सादर !

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  2. बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका |
      सादर !

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (17-12-13) को मंगलवारीय चर्चा मंच --१४६४ --मीरा के प्रभु गिरधर नागर में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. भावाभिव्यक्ति को मिले आपके स्नेह और सम्मान के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
      सादर !

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  4. डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

    देकर ...
    किरणों से ...
    थोडा सा तेज ..
    थोड़ा सा रूप ..
    बना दो न दिनकर ..
    मुझ को भी ....धूप ..

    दीप्त दामिनी सी रह - रह कर अपना भान कराती जाना ,
    मधुर कण्ठ से मृदुल सुकोमल स्वरमय तान सुनाती जाना |
    अस्तित्व मिटे न भीड़ भरे... इन चौराहों पर कहीं तुम्हारा ;
    नारी बन अंगार अलग स्वयं की पहचान बनाती जाना ......

    सत्यं , शिवम् ,सुन्दरम् के सृजन के लिए ..और ..अमंगल के दहन के लिए यह अग्नि सदैव जीवित ..जाग्रत रहे ऐसी कामना के साथ ...
    ...सजल नयन ...श्रद्धांजलि ...निर्भया !

    मार्मिक काव्यात्मक श्रृद्धांजलि-

    नारी जागरण की प्रतीक उस पुण्य आत्मा को प्रणाम।

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    1. भावाभिव्यक्ति को मिले आपके स्नेह और सम्मान के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
      सादर !

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  5. बेशक एक सशक्त रचना

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    1. भावाभिव्यक्ति को मिले आपके स्नेह और सम्मान के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
      सादर !

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