डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
देकर ...
किरणों से ...
थोडा सा तेज ..
थोड़ा सा रूप ..
बना दो न दिनकर ..
मुझ को भी ....धूप ..
2
दीप्त दामिनी सी रह - रह कर अपना भान कराती जाना ,
मधुर कण्ठ से मृदुल सुकोमल स्वरमय तान सुनाती जाना |
अस्तित्व मिटे न भीड़ भरे... इन चौराहों पर कहीं तुम्हारा ;
नारी बन अंगार अलग स्वयं की पहचान बनाती जाना ......
-0- सत्यं , शिवम् ,सुन्दरम् के सृजन के लिए ..और ..अमंगल के दहन के लिए यह अग्नि सदैव जीवित ..जाग्रत रहे ऐसी कामना के साथ ...
...सजल नयन ...श्रद्धांजलि ...निर्भया !
------------०००००००-----------
( चित्र गूगल से साभार )
बहुत सुंदर!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी |
Deleteसादर !
बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका |
Deleteसादर !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (17-12-13) को मंगलवारीय चर्चा मंच --१४६४ --मीरा के प्रभु गिरधर नागर में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
भावाभिव्यक्ति को मिले आपके स्नेह और सम्मान के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
Deleteसादर !
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
ReplyDeleteदेकर ...
किरणों से ...
थोडा सा तेज ..
थोड़ा सा रूप ..
बना दो न दिनकर ..
मुझ को भी ....धूप ..
दीप्त दामिनी सी रह - रह कर अपना भान कराती जाना ,
मधुर कण्ठ से मृदुल सुकोमल स्वरमय तान सुनाती जाना |
अस्तित्व मिटे न भीड़ भरे... इन चौराहों पर कहीं तुम्हारा ;
नारी बन अंगार अलग स्वयं की पहचान बनाती जाना ......
सत्यं , शिवम् ,सुन्दरम् के सृजन के लिए ..और ..अमंगल के दहन के लिए यह अग्नि सदैव जीवित ..जाग्रत रहे ऐसी कामना के साथ ...
...सजल नयन ...श्रद्धांजलि ...निर्भया !
मार्मिक काव्यात्मक श्रृद्धांजलि-
नारी जागरण की प्रतीक उस पुण्य आत्मा को प्रणाम।
भावाभिव्यक्ति को मिले आपके स्नेह और सम्मान के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
Deleteसादर !
बेशक एक सशक्त रचना
ReplyDeleteभावाभिव्यक्ति को मिले आपके स्नेह और सम्मान के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
Deleteसादर !