डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
हसरतों का जला कारवाँ देर तक ,
देखते ही रहे हम धुआँ देर तक |
वक्त रहते बुझाईं न चिंगारियाँ ,
फिर सुलगती रहीं बस्तियाँ देर तक |
थाम ले नाखुदा यूँ भटकने न दे ,
खुद सँभलती नहीं कश्तियाँ देर तक |
क्या करें ग़म का मौसम बदलता नहीं ,
सह न पाएँगे हम तल्खियाँ देर तक |
अश्क मेरे अभी पोंछ बिटिया गई ,
याद आती रही मुझको माँ देर तक |
नाम तेरा भला आज क्या ले लिया ,
फिर महकती रही ये फिजाँ देर तक |
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( चित्र गूगल से साभार )
बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteबहुत आभार आदरणीय !
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बृहस्पतिवार (24-07-2014) को "अपना ख्याल रखना.." {चर्चामंच - 1684} पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हृदय से आभार आपका आदरणीय !
Deleteउम्दा ग़ज़ल !
ReplyDeleteकर्मफल |
अनुभूति : वाह !क्या विचार है !
बहुत आभार आदरणीय !
Deleteखुबसूरत अभिवयक्ति......
ReplyDeleteबहुत आभार आदरणीया !
Deleteनाम तेरा भला आज क्या ले लिया ,
ReplyDeleteफिर महकती रही ये फिजाँ देर तक |
……… बहुत सुन्दर !
हृदय से आभार आपका !
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत आभार आदरणीया !
Deleteबेहतरीन गजल....
ReplyDeleteबहुत आभार आदरणीय !
Deleteक्या करें ग़म का मौसम बदलता नहीं ,
ReplyDeleteसह न पाएँगे हम तल्खियाँ देर तक |
वाह! बहुत खूब!!
बहुत बेहतरीन ग़ज़ल हुई है. हर शेर खूबसूरत...बधाई
बहुत आभार आदरणीय !
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज शुक्रवार २५ जुलाई २०१४ की बुलेटिन -- कुछ याद उन्हें भी कर लें– ब्लॉग बुलेटिन -- में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार!
ReplyDeleteबहुत आभार आदरणीय !
Deleteकविता कोमल पंखुड़ी की ताह है । ज़रा छू जाए और खुशबू बिखर-बिखर जाए । ऐसी ही है आपकी ग़ज़ल । इन पंक्तियों का कोई सानी नहीं।
ReplyDeleteअश्क मेरे अभी पोंछ बिटिया गई ,
याद आती रही मुझको माँ देर तक |
रामेश्वर काम्बोज
बहुत आभार आदरणीय !
Deleteअश्क मेरे अभी पोंछ बिटिया गई ,
ReplyDeleteयाद आती रही आज माँ देर तक |
क्या बात है।
हृदय से आभार आपका !
Deleteमन की भावनाओं को अभिव्यक्त करती रचना ...
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका !
DeleteMarmsparshi Panktiyan
ReplyDeletebahut aabhaar Monika ji !
Deleteहसरतों का जला कारवाँ देर तक ,
ReplyDeleteदेखते ही रहे हम धुआँ देर तक |
अश्क मेरे अभी पोंछ बिटिया गई ,
ReplyDeleteयाद आती रही मुझको माँ देर तक |