Saturday, 9 August 2014

नेह की डोर !!

                                     

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

1
नेह की डोर
बाँधी है मन पर
भैया तुम्हारे ।

2
तेज रवि सा 
उन्नत भाल सजे
कीर्ति रश्मियाँ ।
3
दूँ शुभेच्छाएँ
फलित कामनाएँ
सब हो जाएँ ।
4
कुल दीपक
करना उजियार
यही उद्गार ।
5
राखियाँ बनें
रक्षा कवच शुभ
विपत हरें ।
6
राखियाँ सजें
कलाई पे तुम्हारी
सुधियाँ मेरी ।
7
राखी पे दूर
एक मोती पिरोया
आँसू भिगोया ।
8
राखी हैं प्यार
राखियाँ हैं शपथ
रखना लाज ।
9
रेशम स्पर्श
मंत्र अभिसिंचित
पुष्प वज्र सा।

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(चित्र गूगल से साभार )




15 comments:

  1. राखी पर शुभकामनाऐं । बहुत सुंदर हाईकू ।

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  2. भाई - बहन के पावन पर्व पर सुन्दर हाइकु !
    रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ !
    सादर !

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    1. बहुत बहुत आभार आपका !

      सादर
      ज्योत्स्ना शर्मा

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  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें।

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  4. सभी हाइकू आज के दिन की याद कराते ... राष बंधन की बधाई ...

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (11-08-2014) को "प्यार का बन्धन: रक्षाबन्धन" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1702 पर भी होगी।
    --
    भाई-बहन के पवित्र प्रेम के प्रतीक
    पावन रक्षाबन्धन पर्व की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. बहुत सुन्दर हाइकु...रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें!

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    रक्षाबंधन की शुभकामनाएँ !

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  8. सभी हाइकू उम्दा ..राखी की ढेरों शुभकामनाये :)

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  9. यह रेशम ही बन जाता है वज्र हमारी शुभेच्छा ओं के बल से।

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  10. उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ

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  11. बहुत सुन्दर हाइकु..

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  12. उत्तम प्रस्तुति।।।

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