डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
नेह की डोर
नेह की डोर
बाँधी है मन पर
भैया तुम्हारे ।
2
तेज रवि सा
तेज रवि सा
उन्नत भाल सजे
कीर्ति रश्मियाँ ।
3
दूँ शुभेच्छाएँ
दूँ शुभेच्छाएँ
फलित कामनाएँ
सब हो जाएँ ।
4
कुल दीपक
करना उजियार
यही उद्गार ।
5
राखियाँ बनें
रक्षा कवच शुभ
विपत हरें ।
6
राखियाँ सजें
कलाई पे तुम्हारी
सुधियाँ मेरी ।
7
राखी पे दूर
एक मोती पिरोया
आँसू भिगोया ।
8
राखी हैं प्यार
राखियाँ हैं शपथ
रखना लाज ।
9
रेशम स्पर्श
मंत्र अभिसिंचित
पुष्प वज्र सा।
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(चित्र गूगल से साभार )
राखी पर शुभकामनाऐं । बहुत सुंदर हाईकू ।
ReplyDeletehruday se aabhaar aapakaa !
Deletesaadar
jyotsna sharma
भाई - बहन के पावन पर्व पर सुन्दर हाइकु !
ReplyDeleteरक्षाबंधन की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ !
सादर !
बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteसभी हाइकू आज के दिन की याद कराते ... राष बंधन की बधाई ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (11-08-2014) को "प्यार का बन्धन: रक्षाबन्धन" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1702 पर भी होगी।
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भाई-बहन के पवित्र प्रेम के प्रतीक
पावन रक्षाबन्धन पर्व की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर हाइकु...रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteरक्षाबंधन की शुभकामनाएँ !
सभी हाइकू बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteअनुभूति : ईश्वर कौन है ?मोक्ष क्या है ?क्या पुनर्जन्म होता है ?
मेघ आया देर से ......
सभी हाइकू उम्दा ..राखी की ढेरों शुभकामनाये :)
ReplyDeleteयह रेशम ही बन जाता है वज्र हमारी शुभेच्छा ओं के बल से।
ReplyDeleteउम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
बहुत सुन्दर हाइकु..
ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुति।।।
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