डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
घूम-घूम झालर
फ्रॉक हमारी ।
पूँछ उठाए
यूँ मुँह धोए जाए
ये प्यारी गिल्लू ।
तीखी , ततैया
मिर्च हरी भाए है
हो मीठे भैया !
मछली रानी
डूब, डूब देख आ
कित्ता है पानी ?
अम्मा हमारी
कहें मुझको राजा
दें काम भारी |
यही है स्वप्न -
तुम किरण ।
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बाल दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएँ !!!!
(चित्र गूगल से साभार )
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (14-11-2014) को "भटकता अविराम जीवन" {चर्चा - 17976} पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
बालदिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हृदय से आभार आदरणीय !
Deleteबाल-दिवस पर प्यारी सी रचना...सुंदर हाइकु
ReplyDeleteहृदय से आभार आदरणीय !
Deleteबहुत ही सुन्दर प्यारे से हाइकू ...
ReplyDeleteहृदय से आभार आदरणीय !
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