Thursday, 13 November 2014

तुम किरण !


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

               
                         

कितनी प्यारी !

घूम-घूम झालर 
फ्रॉक हमारी ।



पूँछ उठाए

यूँ मुँह धोए जाए

ये प्यारी गिल्लू ।


तीखी , ततैया 

मिर्च हरी भाए है 

हो मीठे भैया !





मछली रानी 

डूब, डूब देख आ 

कित्ता है पानी ?


अम्मा हमारी

कहें मुझको राजा

दें काम भारी |


यही है स्वप्न -

भास्कर हो भारत

तुम किरण । 
-0-
बाल दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएँ !!!!

(चित्र गूगल से साभार )

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6 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (14-11-2014) को "भटकता अविराम जीवन" {चर्चा - 17976} पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    बालदिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बाल-दिवस पर प्यारी सी रचना...सुंदर हाइकु

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  3. बहुत ही सुन्दर प्यारे से हाइकू ...

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  4. हृदय से आभार आदरणीय !

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