Tuesday, 22 July 2025

188- अभिनंदन


                           (चित्र गूगल से साभार)


यूँ ही .....
थाम कर हाथ
बेख्याली में
चल पड़ी सदी
ठगी सी खड़ी है
सप्तपदी ।1
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सकरी गलियाँ
सीलन भरे अँधेरे
धूप का स्वाद
कैसे बताएँ
लील गईं सूरज
अट्टालिकाएँ ।2
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हाथ कुछ आता नहीं
बेचैन कर जाते हैं
जाने ये सपने
क्यों आते हैं !3
********
हे ईश्वर !
उसकी
तृप्ति भरी शाम हो
सुखद सवेरा हो
जो बचे उसकी चाहत से
वही, बस वही मेरा हो ।4
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रिश्ता तो बस ऐसे
बनाया और निभाया जाए
जैसे टूटे सपनों की किरचें
चुभती हैं आँखों में
और ....
घाव दिल पर उभर आए ।5
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नजदीकियों को
कर दिया दूर
बढ़ा दिया
दूर वाला प्यार
मोबाईल फोन ने
इतना किया उपकार ।6
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मत मिलो मुझसे
मत प्यार बरसाओ
बस इतना कर दो
आंखें मूँदूं तो
तुम बस तुम नज़र आओ ।7
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मैंने किया उसका
अभिनंदन !
नज़र भी उतारी है
प्रेम से भरी एक कविता
नफरत के महाकाव्यों पर
भारी ! बहुत भारी है ।8
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सुन्दर इच्छाओं के
गुलाबों से
मन को कुछ ऐसे
सजाया जाए
फिर ....
कर्मों की माला
बनाकर धरा को
महकाया जाए.....।9
********
अनुनय की धरा ने
गिड़गिड़ाई
नहीं माना सागर
खूब गरजा, बरसा,
"तुमने अपने बच्चों को
अक्ल नहीं सिखाई" ।10
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सबको भाती है
मुस्कानों की बंदनवार
कोई-कोई सुनता है
भीतर के मौन का
हाहाकार ।11
*********
मसले पड़े हैं फूल,
कलियाँ ,
पत्तियाँ आहें भरतीं हैं
हैरत है !
तितलियाँ फिर भी
उड़ान भरतीं हैं ।12
**********
ठोका , पीटा , तराशा
कभी तपाया , गलाया
फिर मुस्कराया ....
तूने मुझे
मैंने तुझको बनाया।13
***********
आँखों में अनुरोध लिए
उसने कहा
माँ! मेरा जन्मदिन
ऐसे मनाना
आज आप मुझे
अकेले मत सुलाना।14
**********
उन्होने
जलसे में बाँटकर
शब्दों की मिठाई
नन्हे रामू की
खूब फटकार लगाई
क्यों रे !
तुझे अब तक
कार धोनी न आई !15
**********
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
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Monday, 30 December 2024

187- खिलती खूब बहार मिले !


 स्नेहिल मित्रों , बन्धुजनों को 

खिलती खूब बहार मिले,

सुन्दर, सरस, मधुर हो जीवन 

स्नेहपूर्ण व्यवहार मिले ।

नयी मंजिलें, नये शिखर हों 

नित-नित हो आगे बढ़ना ;

पग-पग पर पथ सरल रहे , हर

कठिनाई को हार मिले ।।

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ !


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 


Thursday, 26 December 2024

186-छाया है कोहरा घना !




  (चित्र गूगल से साभार )


छाया है कोहरा घना
मन है अनमना !

चमकीं हैंं लाइटें
गाड़ियों का शोर है
जाने दुपहरिया है ?
साँझ है कि भोर है  ?
धुंध का वितान-सा तना
मन है अनमना !

देखो नज़दीकियाँ  भी
आज हुईं ओझल
सँझा को सांसे भी
लगतीं हैं बोझल
मौसम भी दे यातना
मन है अनमना !

धीरे-धीरे घट जाए
फिर दिन की पीर
एक किरन आ जाए
कुहरे को चीर
इतनी सी है चाहना 
न रहे अनमना  !

छाया है कोहरा घना
मन है अनमना ।।

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

Wednesday, 1 November 2023

185- अर्घ्य प्रेम का

 



दिल ये चाहे
बिखरा दूँ कलियाँ
राहों में तेरी ।

न आँसू तुम
कजरा भी नहीं हो
नैनों मे बसे ।

चिरसंगिनी
खुशियाँ हों तुम्हारी
दुआ हमारी ।

लाज-चूनर
उमंगों के कंगन
प्रेम का अर्घ्य ।

सौभाग्य माँगूँ
खुशियों की पायल
बजती रहे ।

हों पूरे सदा-
नयनों में सजे जो,
ख्वाब तुम्हारे ।

तेरे प्यार ने
नहीं बुझने दिया
जीवन-दिया ।

मेरी दुआएँ
सजनी सदा संग
पिया का पाएँ ..... करक चतुर्थी पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ 💐💐

ज्योत्स्ना 




Tuesday, 5 September 2023

184- शिक्षक खेवनहार !


 

मात-पिता शिक्षक प्रथम , दूजे शिक्षाधाम
तीजे जड़-जंगम जगत , सबको करूँ प्रणाम ।।

नन्हें पौधों को दिया, स्नेह सींच विस्तार ।
माली बनकर आपने , सबको दिया सँवार ।।

भ्रम के अँधियारे घिरें , सूझे आर न पार ।
देकर दीपक ज्ञान का , करते पथ उजियार ।।

उच्च लक्ष्य सन्धान कर , करें राष्ट्र निर्माण ।
महिमा गुरुवर आपकी , गाते वेद-पुराण।।

लोभ , मोह , छल छद्म का ,सागर है संसार  ।
जीवन नैया बढ़ चले , शिक्षक खेवनहार ।।

निर्माता हैं राष्ट्र के , रविकर-निकर समान ।
सदा हृदय से कीजिए, शिक्षक का सम्मान ।।

व्यस्त रहें शिक्षक सदा, हो कोई अभियान ।
अध्यापन का दीजिए , समय इन्हें श्रीमान ।।


भारत के पूर्व राष्ट्रपति , प्रसिद्ध शिक्षाविद्, महान विचारक डॉ.  सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की जयन्ती पर उन्हें शत् शत् नमन तथा सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐🙏💐


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा






Tuesday, 4 July 2023

183- वो मेरी बातों में उलझें !

 

                               (चित्र गूगल से साभार)

1

मेरी मानो हो तो ऐसा कर देना
उसके सारे घावों को तुम भर देना ।

आकर जिसमें चैन मिले , सुख पाए मन
हर बन्दे को ,अपना ऐसा घर देना  ।

पंख कटे थे कैद रहे सपने जिसके
साथ-साथ अम्बर के उसको पर देना ।

मामूली बातों पर झगड़ा ,खूँ रेज़ी
थोड़ा सा तो नरम-नरम तेवर देना  ।

वो मेरी बातों में उलझें, रुक जाएँ
मुझको भी कुछ ऐसा मीठा स्वर देना ।


2

खुश हैं शोर मचाने वाले ,क्या कहिए !
चुप हैं राह दिखाने वाले , क्या कहिए !

दीख रहे हैं  ,अचरज ! नेत्रविहीनों को,
सूरज की आँखों पर जाले , क्या कहिए !

खूब कसीदे पढ़ते रात घनेरी के ,
हाथ धूप के लगते काले ,क्या कहिए !

हमने सोचा था कुछ होंगे महफिल में
बेसुध की सुध लेने वाले, क्या कहिए !

बातें करते रहते हैं गंगाजल की
पथ चुनते मदिरालय वाले , क्या कहिए !

उनको डर जब पर्त उधेड़ी जाएगी
निकलेंगे कितने घोटाले , क्या कहिए !

करनी है सो भरनी होगी तय है मन ,
चाहे कितनी जुगत भिड़ा ले, क्या कहिए !

फेंक रहा था जाल मछेरा , मत जाते
तड़प रहे अब कौन निकाले, क्या कहिए !

नफरत मत दो , प्रेम भरो , सच्चाई दो
बच्चों के मन भोले- भाले , क्या कहिए !


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

Saturday, 13 May 2023

182-बस नाम तुम्हारा !



जन्मा मुझे ,मैं जो भी हूँ उसने ही बनाया
खाना, लिखना , बोलना उसने ही सिखाया
सही गलत की उसने ही पहचान बताई
चलना है मुझे जिसपे सही पथ भी दिखाया ।।1
        **************
मुस्कुराके लाड़ से दुलारती भी है
बालों को बड़े प्यार से संवारती भी है
दो पल उदास वो मुझे रहने नहीं देती
करती हूँ गल्तियां तभी फटकारती भी है।।2
         ***************
छाए निराशा उसने गले से लगा लिया
आँचल में अपने प्यार से कितने छुपा लिया
अपने लिए किसी से कुछ भी मांगती न थी
बच्चों के लिए घर को ही सिर पर उठा लिया ।।3
         **************
अपनी चाहतों को जिया ही नहीं कभी
पीड़ा का अपनी ज़िक्र किया ही नहीं कभी
हौंसलों को मेरे उसने पंख दे दिए
सपनों पे अपने ध्यान दिया ही नहीं कभी ।।4
         **************
सबके मनों को जानती है मन की नेक है
सब मोतियों को जोड़ता धागा वो एक है
भेद सबके मौन में रखती लपेटकर
तब ही तो सबके मन की मधुरतम सी टेक है।।5
           *************
साए में जिसके प्यारी धूप प्यारी शाम है
जो सबके लिए सारे सुखों का ही धाम है
पुकारते हैं मुश्किलों में बस सदा ही 'माँ' !
आता है याद जो वो तुम्हारा ही नाम है ।।6

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा