1
पंक में जन्मे
बन नहीं पाते हैं
पंकज सभी ।
2
न्याय की देवी
सबूतों , गवाहों के
वश में रही ।
3
बादल छाए
टर्राते हैं दादुर
नाचेें मयूर ।
4
चंचल नदी
सागर से मिलके
हो गई शान्त ।
5
चंचल नदी
शान्त हुई ,आखिर-
सिंधु से मिल ।
6
जाती है मिट
यायावरी बूँद की
सिंधु से मिल ।
7
करते यहाँ
उगते सूरज को
नमन सभी ।
8
बही थी कभी
भरी-भरी जल से
प्रेम की नदी ।
9
नदी तो बही
उसके ही किनारे
मिले न कभी ।
10
चला न पता
वृक्ष पर छा गई
अमरलता ।
11
प्रभु की माया
कहीं कड़ी सी धूप
कहीं है छाया।
12
बड़ी , गहरी
झील में था शिकारा
एक , बेचारा !
13
भ्रमजाल में
फँस, छटपटाती
मन की मीन ।
14
खेल के ऊबा
माँगता रहे बच्चा
नया खिलौना ।
15
अठखेलियाँ
करे मीन जल में
दूर, तड़पे।
16
दूर रहते
पशु पहचानते
विषाक्त पत्ते ।
17
नहीं खेवैया
बहती जाती नैया
धारा के संग ।
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
(चित्र गूगल से साभार)
खेल के ऊबा
ReplyDeleteमाँगता रहे बच्चा
नया खिलौना ।
वाह
ReplyDeleteप्रभु की माया कहीं धूप कहीं छाया।
नई रचना पौधे लगायें धरा बचाएं
हृदय से आभार आपका 🙏
Deleteवाह, सभी हाइकु स्वयं में गहन अनुभूति समेटे हुए प्रतीत होते हैं। शानदार सृजन के लिए हार्दिक बधाई प्रिय सखी
ReplyDeleteन्याय की देवी
सबूतों , गवाहों के
वश में रही । 👌👌👌👌
हृदय से आभार आपका सखी 🙏
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (१४-०७-२०२१) को
'फूल हो तो कोमल हूँ शूल हो तो प्रहार हूँ'(चर्चा अंक-४१२५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
चर्चा-मंच पर स्थान देने के लिए हृदय से आभार अनीता जी 🙏
Deleteबेहतरीन हाइकु ।
ReplyDeleteनदी के जैसे
नारी का मन बहे
सिंधु न मिले ।
नदी को तो मिल जाता है । बस यूं ही .....
सुन्दर हाइकु संगीता जी,
Deleteप्रेरक उपस्थिति के लिए हृदय से आभार आपका 🙏
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 14 जुलाई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
इस स्नेह और सम्मान के लिए हृदय से आभार आपका 🙏
Deleteबही थी कभी
ReplyDeleteभरी-भरी जल से
प्रेम की नदी ।
नदी तो बही
उसके ही किनारे
मिले न कभी ।
सुंदर सृजन!
प्रेरक उपस्थिति के लिए हृदय से आभारी हूँ 🙏
Deleteउत्कृष्ट हाइकु
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनुपमा जी 🙏
Deleteनहीं खेवैया
ReplyDeleteबहती जाती नैया
धारा के संग ।
बहुत सुन्दर रचना
बहुत-बहुत आभार मनोज जी 🙏
Deleteनए और अनोखे अंदाज़ में कह दी सारी बात.
ReplyDeleteसाधुवाद.
दिल से शुक्रिया नूपुरं जी 🙏
Deleteव्वाहहहहह
ReplyDeleteतीन पंक्तियों में
सारा जहाँ
उड़ेल दिया
सादर..
हृदय से आभार आपका यशोदा जी 🙏
Deleteअति सुन्दर हाइकु ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद अमृता जी 🙏
Deleteबहुत सुंदर हाइकु।
ReplyDeleteहृदय से आभारी हूँ अनुराधा जी 🙏
ReplyDeleteप्रखरता के साथ अपनी बात कहते हैं सभी हाइकू …
ReplyDeleteबहुत ख़ूब …
बहुत-बहुत धन्यवाद आपका 🙏
ReplyDeleteआपके सभी हाइकु एक से बढ़कर एक हैं..आप सदा आगे बढ़ती जाएँ और सुंदर साहित्य का सृजन करती जाएँ इन्हीं शुभकानाओं के साथ ढेर सारा स्नेह..👏👏
ReplyDeleteस्नेहसिक्त प्रतिक्रिया के लिए आभार भावना जी , वन्दन- अभिनंदन 🌷🙏🌷
Deleteसुंदर हाइकु
ReplyDeleteनीतिपरक हाइकु की छटा लिए सुन्दर सृजन...
हार्दिक बधाइयाँ
सरस प्रतिक्रिया सहित उपस्थिति के लिए हृदय से आभार पूर्वा जी,अभिनंदन 🙏🌷🙏
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