Monday, 12 July 2021

162-प्रेम की नदी

 



1
पंक में जन्मे
बन नहीं पाते हैं
पंकज सभी ।
2
न्याय की देवी
सबूतों , गवाहों के
वश में रही ।
3
बादल छाए
टर्राते हैं दादुर 

नाचेें मयूर ।

4

चंचल नदी

सागर से मिलके
हो गई शान्त ।
5
चंचल नदी
शान्त हुई ,आखिर-
सिंधु से मिल ।
6
जाती है मिट
यायावरी बूँद की
सिंधु से मिल ।
7
करते यहाँ
उगते सूरज को
नमन सभी ।
8
बही थी कभी
भरी-भरी जल से
प्रेम की नदी ।
9
नदी तो बही
उसके ही किनारे
मिले न कभी ।
10
चला न पता
वृक्ष पर छा गई
अमरलता ।

11

प्रभु की माया
कहीं कड़ी सी धूप
कहीं है छाया।
12
बड़ी , गहरी
झील में था शिकारा
एक , बेचारा !
13
भ्रमजाल में
फँस, छटपटाती
मन की मीन ।
14
खेल के ऊबा
माँगता रहे बच्चा
नया खिलौना ।
15
अठखेलियाँ
करे मीन जल में
दूर, तड़पे।
16
दूर रहते
पशु पहचानते
विषाक्त पत्ते ।
17
नहीं खेवैया
बहती जाती नैया
धारा के संग ।


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

(चित्र गूगल से साभार)




31 comments:

  1. खेल के ऊबा
    माँगता रहे बच्चा
    नया खिलौना ।

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  2. वाह
    प्रभु की माया कहीं धूप कहीं छाया।

    नई रचना पौधे लगायें धरा बचाएं

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  3. वाह, सभी हाइकु स्वयं में गहन अनुभूति समेटे हुए प्रतीत होते हैं। शानदार सृजन के लिए हार्दिक बधाई प्रिय सखी

    न्याय की देवी
    सबूतों , गवाहों के
    वश में रही । 👌👌👌👌

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    1. हृदय से आभार आपका सखी 🙏

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  4. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (१४-०७-२०२१) को
    'फूल हो तो कोमल हूँ शूल हो तो प्रहार हूँ'(चर्चा अंक-४१२५)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. चर्चा-मंच पर स्थान देने के लिए हृदय से आभार अनीता जी 🙏

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  5. बेहतरीन हाइकु ।

    नदी के जैसे
    नारी का मन बहे
    सिंधु न मिले ।

    नदी को तो मिल जाता है । बस यूं ही .....

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    1. सुन्दर हाइकु संगीता जी,
      प्रेरक उपस्थिति के लिए हृदय से आभार आपका 🙏

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  6. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 14 जुलाई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. इस स्नेह और सम्मान के लिए हृदय से आभार आपका 🙏

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  7. बही थी कभी
    भरी-भरी जल से
    प्रेम की नदी ।
    नदी तो बही
    उसके ही किनारे
    मिले न कभी ।
    सुंदर सृजन!

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    1. प्रेरक उपस्थिति के लिए हृदय से आभारी हूँ 🙏

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  8. उत्कृष्ट हाइकु

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनुपमा जी 🙏

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  9. नहीं खेवैया
    बहती जाती नैया
    धारा के संग ।

    बहुत सुन्दर रचना

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    1. बहुत-बहुत आभार मनोज जी 🙏

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  10. नए और अनोखे अंदाज़ में कह दी सारी बात.
    साधुवाद.

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    1. दिल से शुक्रिया नूपुरं जी 🙏

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  11. व्वाहहहहह
    तीन पंक्तियों में
    सारा जहाँ
    उड़ेल दिया
    सादर..

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    1. हृदय से आभार आपका यशोदा जी 🙏

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  12. अति सुन्दर हाइकु ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद अमृता जी 🙏

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  13. बहुत सुंदर हाइकु।

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  14. हृदय से आभारी हूँ अनुराधा जी 🙏

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  15. प्रखरता के साथ अपनी बात कहते हैं सभी हाइकू …
    बहुत ख़ूब …

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  16. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका 🙏

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  17. आपके सभी हाइकु एक से बढ़कर एक हैं..आप सदा आगे बढ़ती जाएँ और सुंदर साहित्य का सृजन करती जाएँ इन्हीं शुभकानाओं के साथ ढेर सारा स्नेह..👏👏

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    1. स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया के लिए आभार भावना जी , वन्दन- अभिनंदन 🌷🙏🌷

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  18. सुंदर हाइकु
    नीतिपरक हाइकु की छटा लिए सुन्दर सृजन...

    हार्दिक बधाइयाँ

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    1. सरस प्रतिक्रिया सहित उपस्थिति के लिए हृदय से आभार पूर्वा जी,अभिनंदन 🙏🌷🙏

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