प्यारी बेटियों को समर्पित ...एक कविता ......
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
क्या कहें
क्या कमाल करती है,
वक़्त से
भी सवाल करती है ।१
बेफिकर
ख़ुद ,जहान के ग़म पे,
आँख रो-रो
के लाल करती है ।२
खींच कर
कौन खुश लकीरें ये ?
हाय ! कहकर
मलाल करती है।३
खूब हँसती
है तो कभी रोकर ,
रीते आँखों
के ताल करती है।४
चोट खाकर
भी ,मीठी बातों से,
देखिए तो !
निहाल करती है।५
प्यार
अम्माँ से बहुत ,बाबा का,
दिल से
कितना ख़याल करती है।६
आज चर्चा
है इन हवाओं में
काम वो
बेमिसाल करती है ।।७
एक लड़की है दिल की बस्ती में ,
हक़ से रहती ,धमाल करती है।८
*****~~~~~*****
(चित्र गूगल से साभार )
बहुत बढ़िया :)
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद आदरणीय !
Deleteयथार्थ को प्रकाशित कराती उत्कृष्ट रचना ज्योत्सना जी को बधाई एवं शुभकामनायें
ReplyDeleteडॉ. कविता भट्ट
श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखंड
हृदय से आभार कविता जी !
Deleteएक लड़की है दिल की बस्ती में
ReplyDeleteवाह आप भी कमाल करती हैं।बहुत सुंदर कविता।हार्दिक बधाई।
बहुत-बहुत धन्यवाद अनिता जी !
Deletebahut sundar jyotsna ji.....kamaal aapne bhi kiya hai...badhai ke saath..
ReplyDeleteबहुत -बहुत शुक्रिया ज्योत्स्ना प्रदीप जी !
Deletebeti par dil khol kar likhi kavita bahut sunder hai. jyotsna ji badhai.
ReplyDeletepushpa mehra.
हृदय से आभार पुष्पा दी ! स्नेह रहे !
DeleteBhut sunder
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आशा पाण्डेय जी !
Deleteबहुत सुन्दर कविता । बधाई।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद रेणु चंद्रा जी !
Deleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (24.07.2015) को "मगर आँखें बोलती हैं"(चर्चा अंक-2046) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteइस स्नेह और सम्मान के लिए हृदय से आभार आपका !
Deleteबहुत ही सुंदर कविता ...प्रिय सखी ज्योत्स्ना जी ! कितनी प्यारी होती हैं ये बेटियाँ !
ReplyDeleteआपको हार्दिक बधाई !
~सादर
अनिता ललित
दिल से शुक्रिया प्रिय सखी ... :)
Deleteबहुत सुन्दर रचना ..... हार्दिक बधाई !
ReplyDeleteहृदय से आभार ललित जी !
Deleteबहुत बढिया।
ReplyDeletebahut aabhaar Asha Joglekar ji
Deleteएक लड़की है दिल की बस्ती में ,
ReplyDeleteहक़ से रहती ,धमाल करती है।....शानदार रचना..बधाई
hruday se aabhaar Rashmi Sharma ji
Deleteप्यारी बेटियों को समर्पित ...एक कविता ......
ReplyDeleteडॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
क्या कहें क्या कमाल करती है,
वक़्त से भी सवाल करती है ।१
बेफिकर ख़ुद से ,जहाँ के ग़म पे,
आँख रो-रो के लाल करती है ।२
खींच कर कौन खुश लकीरें ये ?
हाय ! कहकर मलाल करती है।३
खूब हँसती है तो कभी रोकर ,
रीते आँखों के ताल करती है।४
चोट खाकर भी ,मीठी बातों से,
देखिए तो ! निहाल करती है।५
प्यार अम्माँ से बहुत ,बाबा का,
दिल से कितना ख़याल करती है।६
आज चर्चा है इन हवाओं में
बात वो बेमिसाल करती है ।।७
एक लड़की है दिल की बस्ती में ,
हक़ से रहती ,धमाल करती है।८
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग :
http://jyotirmaykalash.blogspot.com/2015/07/blog-post_21.html#comment-form
इस बेहतरीन पेशकश पर एक शैर ये भी :
एक लड़की हो सबके कुनबे में ,
देखिये गृहस्थी ,तभी निहाल होती है
http://jyotirmaykalash.blogspot.com/2015/07/blog-post_21.html#comment-form
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ आदरणीय !
Deleteसहृदय उपस्थिति के लिए बहुत आभार आपका !
ReplyDeleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
बेटियाँ सच में घर की जान होती हैं ... चहकता है घर उनके होने से ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना है ...
सहृदय उपस्थिति के लिए बहुत आभार आपका !
Deletewaah bahut sundar rachna aa jyotsna ji ...dil se likhi rachna
ReplyDeletemera ek maahiya jo mujhe aapki rachna pad yaad aa gya
घर-आँगन महकाती
प्यारी सी बिटिया
तितली बन लहराती ।
सहृदय उपस्थिति के लिए बहुत आभार आपका !
Deleteलगा जैसी मेरी मम्मा प्यार से मेरा सर थपथपाते हुए पड़ोस की चाची को मेरे बारे में बता रही हो :)
ReplyDeleteरचना से दिल से जुड़ने के लिए बहुत आभार स्नेहा जी :)
DeleteThis comment has been removed by the author.
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ReplyDeleteएक लड़की है दिल की बस्ती में ,
हक़ से रहती ,धमाल करती है।
क्या बात है...| सच्ची, कमाल है...|
दिल से शुक्रिया प्रियंका जी !
Deleteमैं बेटियों के सभी पिताओं से कहता हूँ कि यह सदी बेटियों की है इन्हें पढ़ाइये और संवारिये ये ही पिताओं का ख्याल करतीं हैं | आजकल परीक्षा के परिणाम में बेटियां अव्वल आ रहीं हैं |
ReplyDeleteसच्ची बात ! बहुत शुक्रिया आपका :)
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