Wednesday, 7 March 2018

129 जीवन की संजीवनी !


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा


दुर्गा काली मात को पूजे सकल समाज 
फिर क्यों सबला को मिले, मर्दानी का ताज ।1

नारी बन नारायणी ,उठ कर सोच विचार ।
स्वयं शक्ति ,तेजस्विनी,रच उज्ज्वल संसार ।2

कभी सुखद -सी चंद्रिका ,कभी सुनहरी धूप ,
कुदरत ने तुझको रचा देकर रूप –अनूप ।।3

कोमलता शालीनता ,गहने हैं ,ले मान ।
लेकिन कर प्रतिकार अब मत सहना अपमान ।।4


कठपुतली बन कर रहूँ ,कब तक तेरे साथ ,
डोरी रख ले थाम कुछ, दे मेरे भी हाथ ।।5

पग-पग पर मिलते यहाँ ,दुःशासन उद्दण्ड,
बैठे हैं धृतराष्ट्र क्या , लिये हाथ में दण्ड ।।6

जीवन की संजीवनी , आप करे संघर्ष ।
देख दशा, तेरी दिशा , शोक करें या हर्ष ।।7

पिंजरे की मैना चकित,क्या भरती परवाज़ ।
कदम-कदम पर गिद्ध हैं ,आँख गड़ाए बाज़ ।।8

पावनता पाई नहीं ,जन -मन का विश्वास ।
सीता को भी  राम  से , भेंट मिला वनवास ।।9

फूल कली से कह गए ,रखना इतना मान ।
बिन देखे होती रहे ,खुशबू से पहचान ।।10

शीश चुनरिया सीख की ,मन में मधुरिम गीत ।
बाबुल तेरी लाडली ,कभी न भूले रीत ।। 11

बिटिया को समझाइए ,सही-गलत पहचान ।
मानव के भी वेश में ,मिलते हैं शैतान ।। 12

छुपकर तितली ने पढ़े ,सभी सुमन के पत्र।
सोच–समझ उड़ना सखी , वन,उपवन ,सर्वत्र।। 13

देख-देखकर हो गए , डर,शंका निर्मूल ।
रंग-बिरंगी तितलियाँ ,उड़ें फूल से फूल ।। 14

मिली राह में ज़िंदगी ,बड़े दिनों के बाद ।
कुछ मुट्ठी में बंद सी , कुछ लगती आज़ाद ।। 15

दिवस अठारह तक चला ,द्वापर में संग्राम ।
कलियुग में क्यों कर भला,लेता नहीं विराम ।। 16

बैठीं नैना मूँद कर ,गांधारी किस चाह ।
सच्ची जीवन संगिनी ,सही सुझाए राह ।। 17

पोर-पोर पीड़ा बसी ,अभी रहे चुपचाप।
क्षमा कभी खुद को भला, कर पाएँगें आप ।। 18

राजनीति चौसर बिछा ,खेल रही है द्यूत ।
शकुनि दे रहे मंत्रणा ,प्रज्ञा हुई अछूत ।। 19

कैसे हम उनको कहें ,स्वयं धर्म का रूप ।
रखें प्रिया को दाँव क्या ,मर्यादा अनुरूप ।। 20

कान्हा तब तुमने रखी ,द्रुपद सुता की लाज ।
घर-घर हों वीरांगना , दुर्गा, लक्ष्मी आज ।। 21

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26 comments:

  1. हर दिन हमारा है फिर भी समस्त नारी शक्ति को आज के दिन विशेष, और विस्तार भरे ,ऊँचे,सशक्त जीवन की हार्दिक शुभकामनाएँ !!!!

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (09-03-2017) को "अगर न होंगी नारियाँ, नहीं चलेगा वंश" (चर्चा अंक-2904) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. हृदय से धन्यवाद आदरणीय !

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  3. वाह ज्योत्सना ! बहुत सुन्दर दोहे। अापको भी विश्व महिला दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएँ

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    1. हृदय से धन्यवाद आपका !

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  4. वाह, बहुत सुंदर सृजन।
    बहुत बधाई।

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    1. बहुत आभार प्रिय अनीता !

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  5. बहुत - बहुत सुंदर दोहे । हार्दिक बधाई

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    1. हार्दिक धन्यवाद सत्या जी :)

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  6. सुन्दर कविता, बेहद उम्दा विचार
    अभिनन्दन
    पूर्वा शर्मा

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    1. बहुत बहुत आभार पूर्वा जी !

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  7. वाह! बहुत ही सुंदर दोहे।
    हार्दिक बधाई।

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    1. बहुत शुक्रिया दीदी , स्नेह रहे आपका !

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  8. ज्योति -कलश जी की सशक्त दोहे पढ़कर बहुत अच्छा लगा ।नारी को सशक्त करते एक से बढ़कर एक दोहा ।बधाई लो । सनेह विभा रश्मि दी

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  9. ज्योत्स्ना जी सुन्दर रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें।

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    1. हृदय से आभार कविता जी !

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  10. बहुत बढ़िया दोहे ...हार्दिक बधाई सखी !

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    1. हृदय से आभार ज्योत्स्ना जी :)

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  11. बहुत बढ़िया दोहे ...हार्दिक बधाई सखी !

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  12. बहुत बढ़िया दोहे हैं

    बधाई

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    1. बहुत आभार मंजूषा जी 🙏

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  13. बहुत सुन्दर दोहे...हार्दिक बधाई

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  14. हृदय से आभार आपका

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  15. दिल खुश हो गया इतने अच्छे दोहे पढ़ के...बहुत बधाई...|

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    1. बहुत -बहुत शुक्रिया प्रियंका जी !

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