डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
यूँ गर्मी से यारी रख
कूलर की तैयारी रख
बिजली रानी चली गईं
पंखी प्यारी-प्यारी रख
फ्रिज के नखरे घने बढ़े
इक मिट्टी की झारी रख
खट्टी-मीठी सी अमियाँ
थोड़े आम अचारी रख
खरबूज़े ,तरबूज़ चखे
शरबत, लस्सी जारी रख
लू का साथी बना पना
छाता, एक सवारी रख
नरम धुले, सूती कपड़े
प्यारी-प्यारी बातों की
एक अदा तो न्यारी रख !
-ज्योत्स्ना शर्मा
२५-५-१८
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भलमनसाहत भारी रख
थोड़ी दुनियादारी रख
ख्वाहिश कितनी सारी रख
बस उनमें मेयारी रख !
बोल न दे बेताब नज़र
सच, इतनी हुशियारी रख
कर देगा बर्बाद तुझे
दिल से कमतर यारी रख
कब लेने आ जाएँ वो
तू अपनी तैयारी रख !
थोड़ी दुनियादारी रख
ख्वाहिश कितनी सारी रख
बस उनमें मेयारी रख !
बोल न दे बेताब नज़र
सच, इतनी हुशियारी रख
कर देगा बर्बाद तुझे
दिल से कमतर यारी रख
कब लेने आ जाएँ वो
तू अपनी तैयारी रख !
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एक ग़ज़ल गरमी की ...
J
यूँ गर्मी से यारी रख
कूलर की तैयारी रख
बिजली रानी चली गईं
पंखी प्यारी-प्यारी रख
फ्रिज के नखरे घने बढ़े
इक मिट्टी की झारी रख
खट्टी-मीठी सी अमियाँ
थोड़े आम अचारी रख
खरबूज़े ,तरबूज़ चखे
शरबत, लस्सी जारी रख
लू का साथी बना पना
छाता, एक सवारी रख
नरम धुले, सूती कपड़े
भरकर तू अलमारी रख
प्यारी-प्यारी बातों की
एक अदा तो न्यारी रख !
-ज्योत्स्ना शर्मा
२५-५-१८
( चित्र गूगल से साभार )
भलमनसाहत भारी रख
ReplyDeleteथोड़ी दुनियादारी रख !
Excellent
ReplyDeletethanks Anil ji
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-05-2018) को "बदन जलाता घाम" (चर्चा अंक-2983) (चर्चा अंक-2969) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
hruday se aabhaar aadaraniiy
Deleteछोटी बाहर की दोनों गलें लाजवाब ...
ReplyDeleteचुटीले शेर अपनी बात को स्पष्ट रख रहे हैं ... धारदार ...
बधाई ...
हृदय से आभार आपका !
Deleteबहुत ही प्यारी सी रचनाऐं मन को खुशी देती ।
ReplyDeleteदिल से शुक्रिया आपका :)
Deleteवाह जी ख़ूब कही
ReplyDeleteदिल से शुक्रिया जी 😊
Deleteकर देगा बर्बाद तुझे
ReplyDeleteदिल से कमतर यारी रख
वाह दोनों ग़ज़ले रक से बढ़कर एक बहुत आनंद आया पढ़कर.. ऐसे ही अच्छी सच्ची ग़ज़ले लिखते रहिए प्रिय सखी 🙏🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷👏👏👏👏👏👏
हृदय से आभार सुनीता जी :)
Deleteभलमनसाहत भारी रख
ReplyDeleteथोड़ी दुनियादारी रख
-बहुत अच्छा सृजन बहन . सराहनीय अनुकरणीय., लेकिन मैं इस क्षेत्र में असफल हूँ .
बहुत आभार आपका , सदैव स्नेहाशीष रहे !
Deleteखूब
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मंजूषा जी
Deleteधारदार ... रचनाऐं
ReplyDeleteहृदय से आभार संजय जी !
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