-डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
पक्के से प्यार की
डाल गया बीम ,
झूम-झूम गायेगा
आँगन का नीम |
कच्ची निम्बोली
और सावन के गीत
साँसों में जाग गई
नैहर की प्रीत
रीत ,रीत जाए न
आशा-असीम |१
पिलखन और निमिया की
ठंडी सी छाँव
मन-पाखी ढूँढ़ फिरा
पहले सा गाँव
कड़वी दवाई दे
मीठा हकीम |२
सपना सवेरे का
होगा साकार
पाऊँगी फिर से मैं
साझा सा प्यार
अम्मा और बाबा
न होंगे तक़सीम|३
झूम झूम गायेगा
आँगन का नीम |
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ReplyDeleteपिलखन और निमिया की
ठंडी सी छाँव
मन-पाखी ढूँढ़ फिरा
पहले सा गाँव
कड़वी दवाई दे
मीठा हकीम ....
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण गीत...बधाई
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आदरणीय !
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (04-05-2018) को "ये क्या कर दिया" (चर्चा अंक-2960) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत-बहुत आभार आदरणीय !
Deleteअद्भुत सुंदर गीत...
ReplyDeleteयादों की ये मर्म स्पर्शी है.
स्वागत हैं आपका खैर
हृदय से आभार आपका!
DeleteExcellent
ReplyDeletethanks a lot
Deleteयह बहुत प्यारा लगा। शब्द संयोजन व भाव दोनों उम्दा। बधाई जी
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार !
Deleteचंद लफ्ज़ों की पूरी बानगी ...
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आपका !
Deleteउत्कृष्ट रचना हेतु बधाई स्वीकारें आदरणीया।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका !
Deleteबहुत ही सुंदर सृजन
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
हृदय से आभार सत्या शर्मा जी !
Deleteबहुत उम्दा गीत ज्योत्स्ना जी ...हार्दिक बधाई ।🌷🌷🌷🌷🌷🌷
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सुनीता जी
Deleteबहुत सुन्दर मनभावन रचना ...
ReplyDeleteपरिवार बंधा रहे तो नेम झूमेगा ... आँगन महकेगा ...
प्रेरक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार आपका !
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