डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
कहीं सजे होंगे मेले , झूल
चलो री सखी फिर से मिलें
चलो री सखी झूलन चलें ...
तुम तो बस गईं संगम-तीरे,
मैं गुजराती नार
मस्त बरेली ,याद दिलाऊँ,
वो पहले का प्यार …
कहीं हमको न जाना तुम भूल , चलो ......
दिल्ली,मुंबई,संगरूर में,
कोई अहमदाबाद
दिल से दिल के आज जुड़े हैं
तार गाजियाबाद…
देखो यादों के महके फूल, चलो ..........
सूरत और बड़ौदा यूँ तो ,
नहीं ज़रा भी दूर
फिर भी जाने बात हुई क्या
मिलने से मज़बूर ..
हसरत पर चढ़ गई धूल , चलो .......
मैया ने गुंझिया भिजवाईं
और भैया ने साड़ी
बालकनी में खड़ी अकेली
देखूँ हारी-हारी…
मेरे मनवा में चुभ रहे शूल , चलो .....
-०-
ReplyDeleteकहीं सजे होंगे मेले , झूल
चलो री सखी फिर से मिलें
चलो री सखी झूलन चलें ..तीज की मंगलकामनाएँ !
दिल्ली,मुंबई,संगरूर में,
ReplyDeleteकोई अहमदाबाद
दिल से दिल के आज जुड़े हैं
तार गाजियाबाद…
देखो यादों के महके फूल, चलो ..........
वाह,अनुपम गीत ...आपको भी हार्दिक बधाई प्रिय सखी ������
बहुत आभार सखी :)
DeleteExcellent
ReplyDeletethanks a lot , you are my inspiration :)
Deleteख़ूब सुंदर सँजोई हैं मंगलकामनाएँ !
ReplyDeleteबहुत आभार बहना जी , शुभकामनाएँ आपके लिए !
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14-08-2018) को "त्यौहारों में छिपे सन्देश" (चर्चा अंक-3063) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हरियाली तीज की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हृदय से आभारी हूँ आदरणीय , शायद blogs की setting में कुछ परिवर्तन हुआ है , मुझे कमेंट्स दिखे ही नहीं | मैं तो बड़ी मायूस थी किसी को पसंद ही नहीं आया गीत :)
Deleteमेरी अभिव्यक्ति को मिले स्नेह और आशीर्वाद के लिए कृतज्ञतापूर्वक नमन करती हूँ !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14-08-2018) को "त्यौहारों में छिपे सन्देश" (चर्चा अंक-3063) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हरियाली तीज की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर नवगीत ली तरह नए प्रतीक, नए रंग ... तीज में संग ... बहुत बहुत शुभकामनाएँ ...
ReplyDeleteसुन्दर , सकारात्मक ,प्रेरक उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद आपका !
Deleteबहुत सुंदर |
ReplyDeleteदिल से शुक्रिया सु-मन जी , ऐसे ही महकता रहे आपका सुन्दर मन !
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteआभार !
Deleteभावपूर्ण ...
ReplyDeleteझूला और झूलन का आग्रह तीज का आनद बढ़ा देता है ...
सुन्दर रचना है ...
बहुत प्यारी रचना. इतने शहरों में घूम आई मैं आपकी रचना के साथ.
ReplyDeleteप्रेरक उपस्थिति के लिए बहुत-बहुत आभार जेन्नी जी , सुखद है आपका आगमन :)
Deleteवाह
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
आत्मसात
दिल से शुक्रिया रोहितास जी , बहुत आभार !
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ReplyDeleteNice artical . Humne ek user supported bloge banaya hai jisme aap jitne comment karenge utne hi user apki website me comment karenge. Keep join early
Chhattisgarh Tourism Spot
thanks for your valuable presence and comment
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