डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
शृंगार छंद
शृंगार छंद
चरण के प्रारम्भ में 3-2 मात्राओं के क्रम के साथ 16-16 मात्राओं के चार चरण ,दो-दो चरणों के तुक मिलते हैं ,
तुकांत में गुरु लघु (2-1)मात्राओं का क्रम होता है |
झूमती गाती आई भोर
दिवस लो होने लगा किशोर
थिरकते पुरवाई के पाँव
तृप्त हों तृष्णाओं के गाँव ।।
मिले जब मन से मन का मीत
मौन में मुखरित हो संगीत
अधर पर सजे मधुर मुस्कान
हुई फिर खुशियों से पहचान ।।
जले जब नयनों के दो दीप
लगी फिर मंज़िल बहुत समीप
अँधेरों ने भी मानी हार
किया है स्वप्नों का शृंगार ।।
थामकर हम हाथों में हाथ
चलेंगे जनम-जनम तक साथ
राह में मिलने तो हैं मोड़
कहीं मत जाना मुझको छोड़ ।।
-०-०-०-०-
बहुत खूबसूरत।बधाई
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका !
Deleteसुन्दर छंद सृजन, हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका !
Deleteबहुत स्तरीय सृजन
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार आदरणीय भैया जी !
Deleteस्तरीय सृजन
ReplyDeleteवाह....दीदी
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आपका
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (28-09-2018) को "आओ पेड़ लगायें हम" (चर्चा अंक-3108) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत आभार आदरणीय !
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteबधाई सखी
कमाल की लेखनी है आपकी 👌
हार्दिक धन्यवाद सखी :)
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteबधाई सखी
कमाल की लेखनी है आपकी 👌
बहुर सुंदर | बधाई ज्योत्स्ना|
ReplyDeleteहृदय से आभार दीदी !
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